जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

OBC को लेकर सुनवाई : किसी भी बिभाग में भर्ती करने से कोर्ट ने नही रोका है सरकार को :हाईकोर्ट

सरकार चाहे तो ओबीसी आरक्षण लागू कर सकती है याचिका के निर्णयाधीन:हाईकोर्ट

👉कोर्ट ने नही किया है अधिनियम के प्रभाव को स्टे सरकार क्यो नही करना चाहती नियुक्तियां :हाईकोर्ट

👉सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संवंधित याचिकाओ के कारण सुनवाई नही कर सकती है हाईकोर्ट : हाईकोर्ट

👉सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन प्रकरणो में फैसला कराए, मध्यप्रदेश सरकार:हाईकोर्ट

👉हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए नियत की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर 2022 को ।

👉एक घंटे तक शासन का पक्ष रखा महामहिम राज्यपाल द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्तओ ने ।

 

जबलपुर यश भारत। :- मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर की नियमित खंडपीठ क्रमांक 2 जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंद्र सिंह द्वारा सुनवाई करते हुए सर्व प्रथम सुप्रीमकोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संवन्दगीत विचाराधीन प्रकरणो की पेपरबुक का अध्यन करते हुए पाया गया की उक्त मुद्दा पूर्व से ही सुप्रीम कोर्ट में 2014 से विचाराधीन है, इसलिए इस न्यायालय द्वारा सुनवाई की जा रही याचिकाओ को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय नही सुन सकती । हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन को निर्देशित किया की सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन याचिकाओ का त्वरित निराकरण कराए या इस हाईकोर्ट में विचाराधीन याचिकाओ को सुप्रीम कोर्ट में स्थान्तरित किया जाना न्यायसंगत होगा । तथा न्यायालय द्वारा उक्त कार्यवाही करने हेतु 4 सप्ताह का समय दिया गया । महामहिम राज्यपाल द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह एवं विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट को बताया की हाईकोर्ट द्वारा जारी अंतरिम समस्त आदेशो को मोडीफाई किया जाए तथा प्रदेश में विगत 4 वर्षों से रुकी हुई भर्तीयों तथा शिक्षको के खाली लगभग एक लाख से ज्यादा पदों पर नियुक्तियो के आदेश दिए जाए तब माननीय न्यायालय द्वारा अपने पूर्व के आदेश दिनांक 19.3.19, 31.1.20, 13.7.21, 01.9.21 का अवलोकन किया गया तथा कोर्ट ने पाया की न्यायलय द्वारा किसी नही भर्ती पर रोक नही लगाई गई है तथा कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा की शासन याचिकाओ के निर्णयाधीन मौजूदा आरक्षण के नियमानुसार समस्त नियुक्तियां तथा भर्तीयों को किया जा सकता है । विशेष अधिवक्तों ने कोर्ट को यह भी बताया गया की संविधानिक व्यस्था के अनुसार कानून बनाने का कार्य इस देश मे सिर्फ विधायका को ही प्राप्त है न की न्यायपालिका को जब विधायका का स्पष्ट कानून है तो उसके प्रवर्तन को रोकने का विधिक अधिकार भी माननीय न्यायालय को नही है जब तक की उसे असंवैधनिक घोषित नही कर दिया जाता । विशेष अधिवक्तों के उक्त तर्कों के बाद कोर्ट ने इंद्रा शाहनी के फैसले का तथा संविधान के अनुछेद 16 का हबाला दिया तब विशेष अधिवक्ताओ ने कोर्ट को बताया की इंद्रा शाहनी के 900 पृष्ठ के फैसले में कही भी संविधान के अनुच्छेद 16 की व्याख्या/इन्टरपिटेशन नही किया गया है इसलिए इस माननीय न्यायालय को विधि के तथा संविधान के प्रावधानों के विपरीत आदेश जारी करने का क्षेत्राधिकार नही है ।आज की सुनवाई में विशेष अधिवक्ताओ ने शासन तथा संवैधानिक प्रावधानों को स्पष्ट किया । ओबीसी आरक्षण के समर्थन में दायर याचिकाओ में पैरवी उदय कुमार,राम गिरीश वर्मा, परमानंद साहू , ओमप्रकाश पटेल, रामभजन लोधी,अंजनी कोरी,रूप सिंह मरावी,भारतदीप सिंह बेदी ने वश रखा ।

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