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जिला अस्पताल में उड़ रही नियमों की धज्जियां निजी कंपनी का ठेका सैंपल निकाल रही नर्सिंग छात्राएं

जबलपुर, यशभारत। सरकारी अस्पतालों मे बेहतर चिकित्सा व्यवस्था लोगों को मिले के इसके लिए सरकार लाखों नहीं करोड़ों रूपए खर्च कर रही है परंतु जिलेस्तर पर बेढंग और नौसिखयों के हाथों कमान देकर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ताजा मामला विक्टोरिया अस्पताल से जुड़ा हुआ है। दरअसल यहां पर सैंपल कलेक्शन और जांच का ठेका वैसे तो निजी कम्पनी ने लिया है। लेकिन पैथोलॉजी में ब्लड सैंपल को लिये जाने का काम नर्सिंग छात्राओं से कराया जा रहा है। हालात ये हैं कि पैथोलॉजी में प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए सैंपल निकालते समय न तो ये छात्राएं मास्क पहन रहीं है और न ही हाथों में गलब्ज।

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अनट्रेंड नर्सिंग स्टूडेंट निकाल रही सैंपल
पैथोलॉजी में अनट्रेंड नर्सिंग स्टूडेंट सैंपल कलेक्शन के लिए पहले सीरिंज में ब्लड ले रही है इसके बाद इसे वैक्यूम ट्रेनर में भरती है। जबकि नियमानुसार नए टेक्नीक से ब्लड कलेक्शन के लिए वैक्यूम ट्रेनर का ही उपयोग किया जाना चाहिए। कई बार स्टूडेंट सीरिंज से ब्लड का निकालकर भरते है तो वे ट्रेनर में ब्लड नहीं डाल पाते है और पूरा ब्लड बाहर फैल जाता है।
जिम्मेदार कौन होगा
नेशनल क्वॉलिटी एसोरेंश सर्टिफाइड जिला अस्पताल की पैथोलॉजी विभाग में नर्सिंग स्टूडेंट की यह लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है। बिना गलब्ज पहने हुए ब्लड कलेक्शन करने से यदि संक्रमण फैलता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा इसका जबाव फिलहाल किसी के पास नहीं है।

मरीज बन गए प्रयोग शाला
जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में लापरवाही आलम ये है कि यहां पर सैंपल देने के लिए आ रहे मरीजों के हाथों एक नहीं दो-दो बार ब्लड निकाला जा रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी उन बुजुर्ग मरीजों को उठानी पड़ रही है जिनके सैंपल के लिए नस ढूंढने में मुश्किल होती है।

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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