विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम में किसानों को दिया गया मृदा एवं जल संरक्षण का संदेश
जिले के 58 कृषकों ने भाग लिया
जबलपुर यश भारत। कृषि विज्ञान केन्द्र जबलपुर में विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि डॉ. टी. आर. शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक, विस्तार संचालनालय ज.ने. कृ.वि. वि. जबलपुर ने कृषकों को सलाह दी कि मृदा एक अमूल्य धरोहर है इसका संरक्षण एवं बेहतर उपयोग हमारा नैतिक कर्तव्य है। मृदा स्वास्थ्य एवं जल प्रबंधन द्वारा ही उत्पादन एवं उत्पादकता का स्तर सदृढ़ किया जा सकता हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. पी. एस. कुल्हाड़े आचार्य एवं विभागाध्यक्ष मृदा विज्ञान विभाग, कृषि महाविद्यालय जबलपुर ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों का निरंतर प्रयोग करके ही मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशाओं को बेहतर बनाया जा सकता है। उपरोक्त दशायें बेहतर होने की स्थिति में ही मृदा स्वास्थ्य बेहतर हो सकेगा तथा मृदा में अनिवार्य पोषक तत्वों की मात्रा एवं उपलब्धता बढ़ेगी साथ ही मृदा जलधारण क्षमता में वृद्धि होगी। कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं केन्द्र प्रमुख डॉ. रश्मि शुक्ला ने कृषकों का आह्वान किया कि कृषि विज्ञान केन्द्र कृषकों के तकनीकी मार्गदर्शन के लिए सदैव तत्पर है। किसान भाई किसानी से पूर्व अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण कराकर अनुशंसा अनुरूप खादों एवं उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है। केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. एके सिंह ने कहा कि केन्द्र द्वारा आयोजित तकनीकी प्रदर्शनों एवं परीक्षणों से पूर्व कृषकों के प्रक्षेत्रों का मृदा परीक्षण एक सतत प्रकिया है। मृदा स्वास्थ्य एवं टिकाऊ खेती के प्रति कृषकों को जागरूक करने हेतु निरंतर जागरुकता अभियान, प्रशिक्षण एवं संगोष्ठी का आयोजन केन्द्र द्वारा किया जा रहा है तथा नरवाई के चक्रीकरण हेतु कृषकों को तकनीकी मार्गदर्शन दिया जा रहा है ताकि मृदा स्वास्थ्य को संरक्षित रखते हुए लाभदायक खेती की जा सके। केन्द्र के वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम संचालक डॉ. नितिन सिंघई ने कृषकों से अनुरोध किया कि कृषि तकनीक के अंगीकारण द्वारा ही फसलोत्पादन में वृध्दि संभव है जिसमें जैव उर्वरकों को भूमिका बहुत ही अहम है क्योंकि मृदा जैव विविधता हेतु इनका प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा समेकित पोषक तत्व प्रबंधन, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग, जैव उर्वरक एवं मृदा जैव विविधता, पोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं प्रबंधन पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। उक्त अवसर पर केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.पी के गुप्ता, डॉ. सिध्दार्थ नायक, डॉ. नीलू विश्वकर्मा, डॉ. अक्षता तोमर उपस्थित थे। कृषकों को कार्यकम में पधारने व कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. डी. के. सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। उक्त कार्यक्रम में जिले के 58 कृषकों ने भाग लिया जिनमें से 36 कृषकों को मृदा स्वास्थ्य पत्रक भी प्रदाय किया गया ।