चिकित्सा मंत्री विश्ववास सारंग के ओएसडी के लेटर से बढ़ गई परीक्षा की तारीख: विवि में नहीं रूक रही अंधेरगर्दी
कुछ कॉलेजों ने परीक्षा तारीख बढ़ाये जाने पर विवि को लेटर भेजकर जताया विरोध, स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़


जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में अंधेरगर्दी जारी है, इस बार चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्ववास सारंग के ओएसडी के लेटर पर विवि अधिकारियों ने मनमानी की है। दरअसल पूरा मामला बीएएमएस तृतीय वर्ष की परीक्षा से जुड़ा है। 6 फरवरी से पूरे प्रदेश में परीक्षा आयोजित होनी थी लेकिन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के ओएसडी डॉ. राहुल रोकड़े ने जबलपुर साइंस मेडिकल यूनिवर्सिटी कुलपति को एक पत्र भेजकर परीक्षा तिथि आगे बढ़ाने के आदेश दे दिए। हैरानी तो तब हुई जब इसकी जानकारी कॉलेजों तक पहुंची और सभी ने विवि जबलपुर को पत्र भेजकर विरोध जताकर परीक्षा यथावत रखने को कहा लेकिन विवि ने कॉलेजों के पत्रों को अहमयित न देते हुए कोई जवाब नहीं दिया।
चिकित्सा मंत्री के आदेश लिए विवि बाध्य नहीं
रतलाम जिले के एक कॉलेज ने आयुर्विज्ञान विवि के परीक्षा नियंत्रक को एक लेटर भेजा है जिसमें प्राचार्य द्वारा कहा गया कि चिकित्सा मंत्री को कुछ लोग ज्ञापन दे जाएंगे और विवि परीक्षा तिथि बढ़ा देगा यह तो नियम नहीं है। विवि एक स्वतंत्र संस्था है और किसी का आदेश मान्य के लिए बाध्य नहीं है।
इन परीक्षाओं की तिथि बढ़ाई गई
विवि द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार बीएएमएस फाइनल ईयर विंटर सेशन की फरवरी 2023 में हो रही परीक्षाओं की कुछ तिथियों में आंशिक संशोधन किया गया है। जिसमें 6 फरवरी को होने वाला काया चिकित्सा-1 का पर्चा अब 6 मार्च को और 10 फरवरी को होने वाला काया चिकित्सा-2 का पर्चा अब 11 मार्च को होगा। इन दो विषयों के अलावा शेष समय सारिणी यथावत रहेगी, वहीं छात्रों को नए एडमिट कार्ड जारी किए जाएँगे।
विवि ने छात्रों की परवाह नहीं की
छात्र-छात्राओं का कहना है कि परीक्षा में देरी से आगे जाकर पोस्ट ग्रेजुएशन में प्रवेश प्रक्रिया का हिस्सा के लिए 1 वर्ष तक इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल अंतिम वर्ष की परीक्षा के बाद स्टूडेंट्स 1 साल की इंटर्नशिप करते हैं जो कि दिसंबर माह से ही शुरू हो जाती है। आमतौर पर पीजी में प्रवेश के लिए परीक्षा जुलाई-अगस्त माह में होती है, जिसका परिणाम और काउंसलिंग होने तक इंटर्नशिप का 1 वर्ष पूरा हो जाता है और बिना समय गँवाए स्टूडेंट्स पीजी में प्रवेश ले लेते हैं, लेकिन एमयू की लेटलतीफी से अगले साल पीजी एग्जाम में बैठना अब मुश्किल लग रहा है।