भोपालमध्य प्रदेश

गृह निर्माण सहकारी संस्था घोटाले में बड़ा खुलासा: पूर्व अध्यक्ष सहित 9 लोगों पर FIR दर्ज

गृह निर्माण सहकारी संस्था घोटाले में बड़ा खुलासा: पूर्व अध्यक्ष सहित 9 लोगों पर FIR दर्ज

​भूखंडों के अवैध आवंटन और करोड़ों की अनियमितता का मामला

​भोपाल, यशभारत: गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल में हुए बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें संस्था के संस्थापक अध्यक्ष संतोष जैन और अन्य पदाधिकारियों समेत कुल 9 लोगों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इन पर भूखंडों के अवैध आवंटन, अनियमितता और संस्था को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
​ईओडब्ल्यू (EOW) ने जांच के बाद 18.06.2008 को गृह निर्माण सहकारी संस्था की शिकायत पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था। एफआईआर में संतोष जैन (संस्थापक अध्यक्ष), कुसुमलता जैन, शिवराम खरे (तत्कालीन उपाध्यक्ष), नरेंदर सिंह मीक, मनमोहन सिंह मीक, कैलाश विजयवर्गीय (पूर्व उपाध्यक्ष), सहकारिता निरीक्षक और प्रभावशाली व्यक्ति, पन्नी बी बाबू सांतकर (तत्कालीन उप आयुक्त सहकारिता) और उनकी पत्नी  सुनीता सांतकर सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है। इन सभी पर धारा 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत अपराध दर्ज किए गए हैं।

​ये हैं मुख्य आरोप:
​भूखंडों का अवैध विक्रय: शिकायत के अनुसार, संस्था ने भूखंड आवंटन के लिए 30.06.2004 को मेसर्स श्रृंगालय बिल्डर को बिना किसी विधिवत प्रक्रिया के, बिना आमसभा की अनुमति के भूमि सौंप दी। मूल सदस्यों के लिए छोड़े गए 44 भूखंडों का आकार 2400/1500 वर्गफीट से घटाकर 1200 वर्गफीट कर दिया गया।
​फर्जीवाड़े की साजिश: यह पाया गया कि संतोष जैन और अन्य ने अपनी संस्था की आमसभा के प्रस्तावों के नाम पर खुद को बिल्डर से अनुबंध के लिए अधिकृत दर्शाया। पूर्व में बिल्डर से कोई प्रस्ताव या कोटेशन आमंत्रित नहीं किया गया था। बाद में उन्होंने मंगलमय और प्रियदर्शिनी बिल्डर्स के नाम से फर्जी कोटेशन प्रस्तुत किए, जिन्हें संबंधित शाखाओं ने अस्वीकार कर दिया था।

​सदस्यों के हितों की अनदेखी: 49 सदस्यों को भूखंड आवंटित नहीं किए गए, जबकि बाद में नियमों की अवहेलना करते हुए 49 नए सदस्यों को जोड़ा गया। भूखंडों को मनमाने ढंग से सहकारिता निरीक्षक और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों को भी बेच दिया गया।
​सरकारी पद का दुरुपयोग: तत्कालीन उप आयुक्त सहकारिता पन्नी बी बाबू सांतकर पर संस्था की अनियमितताओं को जानबूझकर नजरअंदाज करने और अपनी पत्नी श्रीमती सुनीता सांतकर को अवैध रूप से संस्था का सदस्य बनाकर भूखंड क्रमांक 07 की रजिस्ट्री करवाने का आरोप है।
​जाँच में यह भी स्पष्ट हुआ कि संतोष जैन और कुसुमलता जैन ने आमसभा की कार्यवाही को दरकिनार कर भूखंड सदस्यों को आवंटित और विक्रय करने की सुनियोजित योजना बनाई।

​जांच अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि इस पूरे घोटाले में संतोष जैन, तत्कालीन अध्यक्ष, पूर्व उपाध्यक्षगण, सहकारिता निरीक्षक और तत्कालीन उप आयुक्त सांतकर तथा उनकी पत्नी मिलकर अनियमितताओं को बढ़ावा देकर खुद को लाभान्वित किया। मामले की विस्तृत जांच में संतोष जैन के इस पूरे कृत्य को फर्जी योजनाओं को समर्थन देने हेतु भूखंडों की अवैध बिक्री में सहयोग करना माना गया है। जांच में यह भी सामने आया कि 18.06.2004, 22.05.2005 और 26.02.2006 की आमसभाओं में बिल्डर से अनुबंध का कोई प्रस्ताव नहीं था। संस्था के मूल अभिलेख गैर-निवासी सदस्य संतोष जैन के निजी निवास से संचालित कार्यालय में रखे जाते थे, जिससे यह प्रमाणित होता है कि संतोष जैन द्वारा आपराधिक कृत्य को अंजाम दिया गया।

 

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