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जबलपुर लोकसभा चुनावः राजीव गांधी से चुनाव हारने वाले गांधी जीत के पोते राजमोहन गांधी को जबलपुर में मिली थी हार

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जबलपुर, यशभारत। लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मी तेज हो गई है, भाजपा-कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल के बाहने शक्ति प्रदर्शन कर दिया। जबलपुर लोकसभा चुनाव के इतिहास के पन्नों पर नजर डाले तो कई रौचक तथ्य मिलते हैं। कुछ ही लोगों को पता होगा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी को जबलपुर लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। राजमोहन गांधी की हार का सिलसिला यही नहीं थमा साल 1989 में अमेठी लोकसभा सीट में राजीव गांधी से भी उन्हें करारी हाल झेलनी पड़ी थी।

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अजानुबाहु के नाम से जाने जाते थे राजमोहन गांधी
राजनीति से भले दूर का रिश्ता रहा हो परंतु शहर राजनीतिक जानकर कहते हैं कि गांधी जी के पोते राजमोहन गांधी को अजानुबाहु के नाम से भी जाना जाता था। इसके पीछे रोचक तथ्य है दरअसल राजमोहन गांधी के हाथ इतने लंबे थे वह घुटने तक आते थे। और ऐसे व्यक्तियों को अजानुबाहु कहा जाता था। कहा जाता है कि जब राजमोहन गांधी चलते थे लोग उन्हें कम उनके हाथों को ज्यादा देखते थे।

हार के बाद राजमोहन गांधी ने कहा बाहरी हूं, हार ठीक थी
राजमोहन गांधी ने जबलपुर लोकसभा चुनाव साल 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी मंुदर शर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में राजमोहन गांधी को हार मिली थी। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि हार के बाद राजमोहन गांधी ने सबके सामने कहा था कि मैं बाहरी हूं इसलिए मुझे जो हार मिली वह ठीक है, मंुदर शर्मा क्षेत्रीय नेता है और जनता ने उन्हें चुना इसलिए वह हार स्वीकार करते हैं। चुनाव में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। इसमें कांग्रेस की तरफ से मुंदर शर्मा प्रत्याशी थे जिन्हें 3 लाख 33892 मत में एक लाख 72408 मत यानी करीब 53.01 प्रतिशत मिला था। वहीं राजमोहन गांधी को 94 हजार 882 मत यानी 29.17 प्रतिशत वोट मिला था। इसके अलावा सभी निर्दलीय एव अन्य को एक प्रतिशत या इससे भी कम मत मिले थे।

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