
भोपाल: शहर के जीवनदायिनी जलस्रोतों को बचाने के लिए चलाए जा रहे ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ के बावजूद, भोपाल के केरवा डैम और कलियासोत नदी के कैचमेंट क्षेत्र पर भूमाफिया का शिकंजा कसता जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि एक महीने पहले स्वयं जलसंसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने इस क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के सख्त निर्देश दिए थे, लेकिन नगर निगम और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की सुस्ती के चलते अब तक कोई ठोस कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है।
जानकारी के अनुसार, केरवा डैम और कलियासोत नदी के संवेदनशील कैचमेंट क्षेत्र में लगभग 100 अवैध कब्जे चिह्नित किए गए हैं। भूमाफिया बेखौफ होकर मिट्टी और मलबा डालकर इन जमीनों को समतल कर रहे हैं, और यहां तक कि बड़े-बड़े भवनों का निर्माण भी धड़ल्ले से जारी है। यह कोई नई बात नहीं है, इस क्षेत्र में पहले भी तेजी से अतिक्रमण हुआ है, जिसे हटाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) भी स्पष्ट निर्देश जारी कर चुका है। उस समय प्रशासन की टीम ने अतिक्रमणों की पहचान तो कर ली थी, लेकिन उन्हें जमीनी स्तर पर हटाने की कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
अब एक बार फिर कलेक्टर ने एसडीएम को इन अतिक्रमणों को हटाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति केरवा डैम के पास स्थित महुआखेड़ा गांव में है, जहां वेटलैंड क्षेत्र और फुल टैंक लेवल (FTL) सीमा के भीतर बड़े पैमाने पर अवैध रूप से कोपरा (निर्माण मलबा) और मिट्टी डालकर भराव किया जा रहा है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि ऐसा जमीन को समतल कर अवैध फार्म हाउस और प्लॉटिंग करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
शिकायतकर्ता राशिद नूर खान के अनुसार, इस क्षेत्र में अब तक लगभग दो हजार से अधिक डंपर कोपरा डाला जा चुका है, और यह अवैध गतिविधि वर्तमान में भी निर्बाध रूप से जारी है। इस संबंध में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से भी शिकायत की गई है, लेकिन कार्रवाई का इंतजार है। यही हाल शहर के अन्य बड़े जलस्रोतों का भी है, जहां भूमाफिया मिट्टी, कोपरा और मलबा डालकर कब्जे के नापाक इरादों को अंजाम दे रहे हैं।
नौ अप्रैल को ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ के तहत केरवा डैम के पास श्रमदान करने पहुंचे जलसंसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि केरवा डैम सहित अन्य सभी जलस्रोतों के आसपास से हर प्रकार के अतिक्रमण को तत्काल हटाया जाए। हालांकि, मंत्री के इन स्पष्ट निर्देशों का भी जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है।
इस गंभीर मुद्दे पर हुजूर के एसडीएम विनोद सोनकिया का कहना है कि केरवा डैम के संपूर्ण जलभराव क्षेत्र, वेटलैंड क्षेत्र और एफटीएल का जायजा लेकर जांच रिपोर्ट तैयार कर आला अधिकारियों को सौंप दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही नियमानुसार कार्रवाई कर अवैध निर्माणों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हालांकि, जमीनी हकीकत इन दावों से कोसों दूर नजर आ रही है।
मुख्य आपत्तियां और पर्यावरणीय प्रभाव:
- अवैध मिट्टी भराव: वेटलैंड क्षेत्र में कोपरा, मिट्टी व मलवा डालकर कृत्रिम समतलीकरण किया जा रहा है, जिससे प्राकृतिक जलग्रहण क्षमता और पारिस्थितिक संतुलन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
- अवैध निर्माण की तैयारी: क्षेत्र में फार्म हाउस निर्माण के लिए अवैध भूखंड काटने की योजना सामने आ रही है, जो वेटलैंड संरक्षण नियमों का सीधा उल्लंघन है।
- जैव विविधता पर प्रभाव: इन अवैध गतिविधियों के कारण वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है, जिससे क्षेत्र में जल संकट और बाढ़ जैसी समस्याओं की संभावना बढ़ रही है।
वर्तमान में संचालित अवैध गतिविधियां:
- वेटलैंड क्षेत्र में भारी मात्रा में कोपरा और मिट्टी डालकर भूमि का समतलीकरण जारी है।
- एफटीएल सीमा के भीतर अस्थायी निर्माण ढांचे खड़े किए जा रहे हैं।
- इन गतिविधियों से क्षेत्रीय जल प्रवाह और जैव विविधता में बाधा उत्पन्न हो रही है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कलेक्टर के नए निर्देशों के बाद प्रशासन कब तक जमीनी स्तर पर कार्रवाई शुरू करता है और क्या जलसंसाधन मंत्री के स्पष्ट आदेशों के बावजूद भूमाफिया के हौसले बुलंद रहेंगे। शहर के महत्वपूर्ण जलस्रोतों को बचाने के लिए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है, अन्यथा इन पर भूमाफिया का ‘ग्रहण’ गहराता जाएगा।