JABALPUR NEWS- ईओडब्ल्यू में फंसे बिशप के बारे में यहां पढ़े : बिशप के खिलाफ 99 मामले दर्ज, 2013 में दिल्ली में दर्ज हुआ पहला केस

जबलपुर, यशभारत। आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो में फंसे बिशप को लेकर पूरे प्रदेश में चर्चाएं हो रही है। सब जानना चाह रहे हैं बिशप के पास इतनी सोहरत और पैसा कहां से आया। बिशप हमेशा से विवादों में रहे हैं पहला केस बिशप पर दिल्ली में 2013 पर दर्ज हुआ वो भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर।
मालूम हो कि ईओडब्ल्यू ने अपनी कार्रवाई में 128 बैंक अकाउंट, आलीशान कोठी, सबकुछ मिला। बिशप पीसी सिंह के ठाठ देखकर टीम भी हैरान रह गई थी। बिशप के खिलाफ 99 मामले दर्जं हैं। बिशप पीसी सिंह कैसे बना और क्यों बना। बिशप के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले किन धाराओं में दर्जं हुए हैं। पढि़ए, बिशप प्रेमचंद के गबन की संदर्भं सहित व्याख्या।
एंगलीकन चर्च ऑफ इंडिया ने बिशप पद से हटाकर छीन लिए अधिकार
जबलपुर में बुधवार को एंगलीकन चर्च ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पीसी सिंह को सभी 27 डायोसिस के बिशप पद से हटाकर सारे अधिकार छीन लिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एंगिलकन चर्च ऑफ इंडिया की सचिव मधुलिका जॉइस ने ये जानकारी दी। एंगिलकन चर्च ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों का सीधा आरोप बिशप पीसी सिंह पर है। बिशप पीसी सिंह के घर ईओडब्ल्यू के छापे और छापे में मिली अकूत संपत्ति के बाद जांच तेज हो गई है तो बिशप को फोर्स लीव पर भेजते हुए बिशप बीके नायक को देश के 27 डायोसिस की कमान सौंप दी गई है। यानी बिशप पीसी सिंह पर शिकंजा कसने के बाद ये कार्रवाई सामने आई है। मगर बिशप पर तो पहले से ही 99 मामले दर्ज हैं।
अलग-अलग राज्यों में दर्ज 99 मामलों की फेहरिस्त
-सबसे ज्यादा 42 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज
-राजस्थान में 24 और महाराष्ट्र में 11 मामले दर्ज
-पंजाब में 6 और मध्यप्रदेश में 4 केस
-छत्तीसगढ़, दिल्ली और झारखंड में 3-3 केस
-अधिकतर केस धोखाधड़ी सहित छेड़छाड़, अवैध वसूली और फर्जी दस्तावेज बनाने से जुड़े
गैंगस्टर पीटर बलदेव से मिलीभगत कर मिर्जापुर में किए कई घपले।
-पीसी सिंह बिहार के समस्तीपुर जिले का रहने वाला है।
-1986 में एक डायोकेसन कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू किया। डायोकेसन ईसाई मिशनरीज का सबसे छोटा स्तर है।
-8 अप्रैल 1988 को जबलपुर के क्राइस्ट चर्च कैथेड्रल में एक डीकन यानि नौकर के रूप में नियुक्त किया गया।
-10 अप्रैल 1990 को पीसी सिंह बिलासपुर के सेंट ऑगस्टीन चर्च में एक प्रेबीटर यानि द्वितीय श्रेणी का पादरी बना।
-पीसी सिंह ने 1995 से 1999 तक जबलपुर में चेस्ट चर्च ऑफ क्राइस्ट यानि सीएनआई प्रभारी प्र्रेबीटर का पद संभाला।
-पीसी सिंह 1999 से 2004 तक घमापुर सेंट पॉल चर्च में सीएनआई प्रभारी प्रेज्बीटर रहा।
2004 में प्रेमचंद के मंसूबे कामयाब हुए और 13 अप्रैल को उसे जबलपुर का चौथा बिशप चुना गया।
-इसके ठीक 12 दिन बाद यानी 25 अप्रैल को प्रेमचंद ने लंबी छलांग मारी और क्राइस्ट चर्च कैथेड्रल का बिशप बन बैठा।
शुरुआत से ही पैसा कमाने के उद्देश्य से काम कर रहा था पीसी सिंह
हैरान कर देने वाली बात ये है कि 1986 में सबसे निचले स्तर के ईसाई मिशनरी कार्यकर्ता डायोकेसन से लेकर सीएनआई का मॉडरेटर और बिशप बनने तक के सफर में पीसी सिंह ने धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दिया। पीसी सिंह पर पहला केस 30 सितंबर 2013 में दिल्ली में दर्ज हुआ था, वो भी सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर। दूसरा केस 12 नवंबर 2018 को उत्तरप्रदेश के करनालगंज में धोखाधड़ी का और यहां से शुरू हुई पीसी सिंह की क्रिमिनल जर्नी। आरोप ये भी हैं कि ईसाई धर्मगुरू पीसी सिंह ने अपने सहयोगी और गैंगस्टर पीटर बलदेव से मिलीभगत कर मिर्जापुर में कई घपले किए। इसी साल कुछ समय पहले लखनऊ क्राइस्ट चचज़् कॉलेज के प्रिंसिपल राकेश कुमार चत्री ने हजरतगंज पुलिस थाने को आवेदन पत्र भेजकर पीसी सिंह को गैंगस्टर लिस्ट में डालने की मांग की थी।