
जबलपुर: पश्चिम मध्य रेलवे (पमरे) के जबलपुर स्थित केंद्रीय चिकित्सालय में लंबे समय से चली आ रही विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अब दूर होने वाली है। डॉक्टरों की कमी के कारण यहां की चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हो रही थी और मरीजों को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पा रहा था। अब रेलवे बोर्ड ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा चयनित डॉक्टरों के पैनल से 6 विशेषज्ञ चिकित्सकों को जबलपुर में तैनात करने का निर्णय लिया है।
दूर-दराज से आते हैं मरीज:
जबलपुर का केंद्रीय रेलवे अस्पताल पूरे पमरे मंडल के साथ-साथ कोटा और भोपाल जैसे अन्य मंडलों के रेल कर्मचारियों, उनके परिजनों और पेंशनभोगियों के लिए भी इलाज का प्रमुख केंद्र है। चिकित्सकों की कमी के कारण यहां मरीजों को लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ता था, जिससे उनकी बीमारियाँ और बढ़ जाती थीं।
6 डॉक्टरों से सुधरेगी स्थिति:
जानकारों का मानना है कि यूपीएससी से चयनित 6 डॉक्टरों की नियुक्ति से अस्पताल की स्थिति में पूरी तरह से सुधार तो नहीं होगा, लेकिन कुछ हद तक राहत जरूर मिलेगी। अस्पताल में लगभग एक दर्जन विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता है, ऐसे में आधे दर्जन डॉक्टरों के मिलने से स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है।
संविदा डॉक्टरों पर निर्भरता:
वर्तमान में रेलवे अस्पताल का कामकाज मुख्य रूप से संविदा (मानसेवी) चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है। कुछ अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी कुछ घंटों के लिए नियुक्त किया गया है, लेकिन वे अस्पताल में सीमित समय ही देते हैं और अक्सर मरीजों को अपनी निजी क्लीनिकों में बुलाकर फीस लेते हैं।
मुख्यालय में ‘साहबी’ कर रहे डॉक्टर:
सूत्रों के अनुसार, एक तरफ अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है, वहीं दूसरी तरफ 4 डॉक्टर ऐसे हैं जो वर्षों से चिकित्सकीय कार्य छोड़कर पमरे मुख्यालय में गैर-चिकित्सकीय पदों पर कार्यरत हैं। लोगों का मानना है कि लंबे समय तक चिकित्सा से दूर रहने के कारण वे इलाज करना भी भूल गए होंगे। ऐसे डॉक्टरों को वापस अस्पताल में तैनात करने की मांग भी उठती रही है, लेकिन उच्च स्तर पर पकड़ होने के कारण उनकी ‘साहबी’ बरकरार है।
उम्मीद है कि 6 नए विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति से केंद्रीय रेलवे अस्पताल, जबलपुर में मरीजों को बेहतर और समय पर इलाज मिल सकेगा।