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गोंडी पूनम गोंडी पुराण विशाल आदिवासी महोत्सव का भव्य आयोजन

पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए परंपरा

गोंडी पूनम गोंडी पुराण विशाल आदिवासी महोत्सव का भव्य आयोजन

पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए परंपरा

जबलपुर, यश भारत। रांझी सरस्वती मैदान में आयोजित गोंडी पूनम गोंडी पुराण विशाल आदिवासी महोत्सव में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिली। इस अवसर पर पारंपरिक नृत्य, गीत-संगीत और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। महोत्सव में वरिष्ठ आदिवासी समाजसेवियों का सम्मान भी किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि प्रीति ठाकुर ने बताया कि यह आयोजन रांची बड़े पत्थर से प्रेरित होकर किया गया है और इसका उद्देश्य आदिवासी समाज के उत्थान के साथ-साथ प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, आज लोग अपने मूल स्वभाव और प्राकृतिक जीवनशैली की ओर लौट रहे हैं। आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां फिर से लोकप्रिय हो रही हैं, क्योंकि आधुनिक जीवनशैली और केमिकल युक्त चीजों से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण में आदिवासी समाज की अहम भूमिका

प्रीति ठाकुर ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का संरक्षक है। उन्होंने बताया कि आदिवासी समुदाय पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए परंपरागत तरीकों का पालन करता है और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करता है। उन्होंने कहा, हमारी संस्कृति पर्यावरण से गहरे रूप से जुड़ी हुई है। आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त वातावरण देना हमारी जिम्मेदारी है, और हम इसे निभाते रहेंगे।

संस्कृति को सहेजने का प्रयास

महोत्सव में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर प्रस्तुत किए गए नृत्य और गीतों ने आदिवासी संस्कृति की समृद्धि को उजागर किया। आयोजकों ने बताया कि यह आयोजन हर वर्ष आयोजित किया जाता है, ताकि नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे और अपनी सभ्यता, संस्कृति व परंपराओं को भूलने न पाए।
इस अवसर पर विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया।

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