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पहले लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, फिर निगम और पंचायत… एक देश-एक चुनाव का सिस्टम ऐसे करेगा काम


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‘एक देश, एक चुनाव’ पर रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. कोविंद कमेटी ने इस रिपोर्ट में कई बड़ी और अहम सिफारिशें की हैं. कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन के लिए संविधान संशोधन की सिफारिश की है. कमेटी ने सिफारिश की है कि सरकार कानून सम्मत ऐसा तंत्र तैयार करे, जिससे एक साथ चुनाव संभव हो. ये रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है.

पिछले साल 2 सितंबर को हाईलेवल कमेटी का गठन किया गया था. 191 दिन में रिपोर्ट तैयार की गई है. पैनल ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें रिपोर्ट सौंपी. इस दौरान कमेटी ने चुनाव से जुडे़ तमाम लोगों से विस्तार से बातें की हैं. कमेटी ने सिफारिश की कि केंद्र सरकार कानूनी रूप से एक ऐसा तंत्र तैयार करे, जिससे एक साथ चुनाव हो सकें. रिपोर्ट में अनुच्छेद 324A लागू करने की सिफारिश भी शामिल है. इसके अलावा अनुच्छेद 325 में संशोधन की सिफारिश भी की है. कोविंद कमेटी ने एकल मतदाता सूची के लिए भी सिफारिश की है.

‘पहले चरण में हों लोकसभा और विधानसभा चुनाव’

‘अनुच्छेछ 324 A लागू करने की सिफारिश’

रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टियों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के सुझावों के आधार पर कमेटी का सर्वसम्मत विचार है कि एक साथ चुनाव होने से चुनावी प्रक्रिया और समग्र शासन में मूलभूत परिवर्तन आएगा. कमेटी ने लोकसभा और विधान सभाओं के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं में चुनाव को सक्षम बनाने के लिए अनुच्छेद 324 ए लागू करने की सिफारिश की.

कमेटी ने एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता फोटो पहचान पत्र को सक्षम करने के लिए अनुच्छेद 325 में भी संशोधन की सिफारिश की है, जिसे राज्य चुनाव आयोग के परामर्श से भारत के चुनाव आयोग द्वारा तैयार किया जाएगा.

‘पैनल में गृह मंत्री भी शामिल’

राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले इस पैनल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी शामिल हैं.

कमेटी ने और क्या सिफारिशें की हैं…

– कमेटी की सिफारिश है कि त्रिशंकु सदन की स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए. ऐसी स्थिति में नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं. राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं तो ऐसी नई विधानसभा तब तक जल्दी भंग ना की जाए, जब तक लोकसभा का कार्यकाल खत्म नहीं हो जाता.
– संसद में अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन करते हुए एक संविधान संशोधन बिल पेश करना होगा. इस संवैधानिक संशोधन को राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की जरूरत नहीं होगी.
– कमेटी का मानना ​​है कि देश की आजादी के पहले दो दशकों के बाद एक साथ चुनाव न होने का अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ा है. हर साल कई चुनाव होते रहते हैं. इससे सरकार, व्यवसायों, श्रमिकों, न्यायालयों, राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक, समाज पर भारी बोझ पड़ता है. इसलिए कमेटी सिफारिश करती है कि सरकार को एक साथ चुनाव के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से टिकाऊ तंत्र विकसित करना चाहिए.
– लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के उद्देश्य से कमेटी सिफारिश करती है कि भारत के राष्ट्रपति, आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख को अधिसूचना द्वारा जारी कर सकते हैं. इस अनुच्छेद के प्रावधान को लागू करें और अधिसूचना की उस तारीख को नियुक्त तिथि कहा जाएगा.

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