अजोला को रोपाई के पहले डालने से 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि
जबलपुर यशभारत।
जबलपुर जिले में 2 लाख 72 हजार का रकवा है जिसमें से 1 लाख 75 हजार हेक्टर जमीन में किसानों द्वारा धान की फसल बोई जाती है। जिले में कुल किसान की संख्या 2 लाख 24 हजार है। बारिश होने के बाद से किसान धान की बुवाई करने की तैयारी में लग गए हैं। धान वाले खेतों में किसान बखरनी करने लग गए जिससे कि खेत का कचरा साफ हो जाए और उपज अच्छी तैयार हो ।किसानों को धान की अच्छी पैदावार के लिए फसल में प्राकृतिक नाइट्रोजन की प्राप्ति के लिए अजोला बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस संबंध में उपसंचालक कृषि रवि आम्रवंशी ने बताया कि अजोला एक तैरती हुई फर्न है जो शैवाल से मिलती-जुलती है। सामान्यतः अजोला धान के खेत या उथले पानी में उगाई जाती है। यह तेजी से बढ़ती है।
बढ़ती है धान की उपज
उन्होंने बताया कि अजोला एक जैव उर्वरक है। एक तरफ जहाँ इसे धान की उपज बढ़ती है वहीं ये कुक्कुट, मछली और पशुओं के चारे के काम आता है। अजोला पानी में पनपने वाला छोटे बारीक पौधों की जाति का होता है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में फर्न कहा जाता है। अजोला की पंखुड़ियो में एनाबिना नामक नील हरित काई के जाति का एक सूक्ष्मजीव होता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नत्रजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नत्रजन की पूर्ति करता है। अजोला की विशेषता यह है कि यह अनुकूल वातावरण में 5 दिनों में ही दो-गुना हो जाता है।
अजोला में कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं
यदि इसे पूरे वर्ष बढ़ने दिया जाये तो 300 टन से भी अधिक सेन्द्रीय पदार्थ प्रति हेक्टेयर पैदा किया जा सकता है, यानी 40 कि०ग्रा० नत्रजन प्रति हेक्टेयर प्राप्त। अजोला में 3-5 प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। धान के खेतों में इसका उपयोग सुगमता से किया जा सकता है। 2 से 4 इंच पानी से भरे खेत में 10 टन ताजा अजोला को रोपाई के पूर्व डाल दिए जाने से धान की फसल में लगभग 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन वृद्धि की जा सकती है। इस फर्न का रंग गहरा लाल या कत्थई होता है। धान के खेतों, छोटे-छोटे पोखर या तालाबों में यह अक्सर दिखाई देती है।
यह है अजोला बनाने की विधि:-
पानी के पोखर या लोहे के ट्रे में अजोला कल्चर बनाया जा सकता है। पानी की पोखर या लोहे के ट्रे में 5 से 7 से.मी. पानी भर देवें। उसमें 100 से 400 ग्राम कल्चर प्रतिवर्ग मीटर की दर से पानी में मिला देवें। सही स्थिति रहने पर अजोला कल्चर बहुत तेज गति से बढ़ता है और 2-3 दिन में ही दुगना हो जाता है। अजोला कल्चर डालने के बाद दूसरे दिन से ही एक ट्रे या पोखर में अजोला की मोटी तह जमना शुरू हो जाती है जो नत्रजन स्थिरीकरण का कार्य करती है। इस प्रकार अजोला का उपयोग करके किसान कम रासायनिक ऊर्वरक का उपयोग करके भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।