चुनावी चकल्लस -वेस्ट इज दा बेस्ट:-डंडा ऊंचा रहे हमारा
वेस्ट इज दा बेस्ट यहसार्थक हो रहा राजनीति में झंडे और डंडे की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डंडा जहां झंडे को ऊंचाई प्रदान करता है, वही इस डंडे की भूमिका उस समय बदल जाती है जब विपक्ष का झंडा बुलंदी पर होता है। इसके बाद राजनीतिक योद्धा इस डंडे से झंडे को अलग कर इसका उपयोग अस्त्र के रूप में करने लगते हैं। जबलपुर में भी कमोबेश यही हाल देखा गया हमेशा की तरह शांत रहने वाला एक विधानसभा क्षेत्र आपसी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में ऐसा उलझा की डंडा, झंडे से बाहर आया और सिर फुट्टवल का दौर शुरू हो गया। परंपरानुसार संस्कारधानी की राजनीति भी अब धीरे-धीरे अपने पूरे शबाब में आने की आहट दे गयी और अपनी बादशाहत का परचम बुलंद करने वाले झंडे से डंडा भी धीरे-धीरे बाहर निकलने लगा है, राजनीतिक पंडित कयास लगा रहे हैं की डंडे की यह महिमा जो गत रात देखी गई वह मतदान की तारीख आते-आते और उफान पर आएगी। जिसके पीछे मकसद नेशनल एंथम की इस लाइन को चरितार्थ करना है कि डंडा ऊंचा रहे हमारा