जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

डोरीलाल की चिन्ता: – दुखिया दास कबीर है जागे और रोवे

डोरीलाल का एक बहुत पुराना साथी मिल गया तो उसके साथ फुहारे में घूम रहे थे। अचानक वो दिखा। हम सब लोग उसे मम्मा कहते हैं। क्योंकि वो हमारे एक दोस्त का रिश्ते का मामा है। वो साइकिल पर था। उसकी साइकिल के हैंडिल पर दो झोले टंगे थे और कैरियर पर भी कुछ कागज बंधे थे। हमने कहा क्यों मम्मा आजकल क्या चल रहा है ? मम्मा ने बताया कि मैं राज्य परिवहन निगम था। निगम भंग हो गया। हम लोग सड़क पर आ गए। आज तक मुआवजे के लिए लड़ रहे हैं। पर घर तो चलाना है भैया तो आजकल दुकान दुकान जाकर लिफाफे, डायरी, कागज बेचता हूं। कुछ कमाई हो जाती है। हम लोगों ने कहा कि चलो चाय पीते हैं। उसने कहा अरे दादा घर बिलकुल पास में है। चलो घर चलते हैं। आप मेरे घर कभी नहीं आए।

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हम लोग गली कुलियों से होते हुए एक बड़ी इमारत के पिछवाड़े पंहुचे। एक छोटे से दरवाजे से अंदर घुसे सामने एक पलंग था। उसी में हम लोग बैठ गये। मम्मा की स्नेहमयी मां सामने ही बैठी थीं। मम्मा ने हम लोगों का परिचय दिया। वो चाय बनाने लगीं। वो एक छोटी सी जगह थी जो रसोई घर, स्नान घर और डाइनिंग हॉल बैडरूम सबकुछ थी। उसमें बर्तन, कपड़े और दीगर ढेर सारा सामान रखा था। मम्मा की पत्नी भी निकल आईं। एक छोटी से कुठरिया और दिखी। बहुत ही छोटी। घर की हालत देख कर लग रहा था कि क्या इस तरह से भी आदमी रह सकता है। फिर भी उनके चेहरे पर स्वागत, खुशी और आदर का भाव था। जिस आदमी की कमाई लगभग कुछ नहीं है वो किस मुहब्बत से अपने घर लेकर आया है। उसे नहीं लग रहा कि घर में बैठने की जगह नहीं है। अम्मा, मम्मा और मामी तीनों का प्रेम रूला रहा था। मैंने कहा मम्मा बच्चे क्या कर रहे हैं तो जवाब सुनकर तबियत खुश हो गई। लड़का बहुत होनहार है। उसे सरकारी वजीफा मिला। फिर सरकारी कोचिंग मिली और इस कुठरिया में पढ़कर वो आई आई टी पंहुच गया है। मम्मा के पास न उसे बाहर भेजने के पैसे हैं और न पढ़ाने के पर तरह तरह के लोन और सहायता से वो बच्चे को पड़ा रहे हैं। लड़की भी बहुत होशियार है और इसी तरह कहीं बाहर पढ़ रही है। मेरी यह पूछने की हिम्मत न हुई कि मम्मा घर कैसे चलाते हो। साईकिल पर टंगे झोले मैं देख चुका था। काफी देर तक हम लोग पुराने साथियों और पुराने दिनों की बात करते रहे। चलने लगे तो अम्मा बोलीं भैया अब फिर कब आओगे। कुछ खिला नहीं पाये। मामी बोलीं जब भी फुहारे कमानिया आइये तो घर जरूर आइये। बहुत अच्छा लगा आप लोग आए। मम्मा वापस फुहारे छोडऩे आए।

ऐसे भी लोग रहते हैं। ऐसे भी परिवार पलते हैं। एक बार बैंक का लोन बांटने के चक्कर में कुछ घरों में गया। दिल दहल गया था। एक घर पंहुचे तो घर खुला हुआ था। कुछ देर बाद एक बच्ची आई। उससे पूछा कि मां कहां है। उसने कहा कि मां सुबह खाना बनाकर काम करने चली जाती है। घर में कोई नहीं रहता। वो शाम को आती है। एक झोपड़ीनुमा कोठरी में एक आदमी लेटा था। वो ठेला चलाता था। बीमार हो गया था। तो पड़ा था। ठेला बिक गया था। उसने बताया कि कोई खाने को दे जाता है तो खा लेता हूं। एक पहाड़ी में एक झोपड़ी गिर गई थी। पर उसके अंदर एक परिवार रह रहा था। पत्थरों को जमाकर बनाई गई एक पलंगनुमा जगह में एक व्यक्ति लकवे के कारण अपाहिज होकर पड़ा था। उसकी पत्नी बच्चे और मां भी थी। मन रो उठा था।

भारत सरकार का कहना है कि भारत में जो व्यक्ति 25000 रू महीना कमाता है वो देश के सबसे ज्यादा कमाने वाले लोगों के वर्ग में शामिल है। और देश के अधिकांश लोगों की आय 10,000 रू महीने से कम है। सरकार कहती है कि वो 85 करोड़ लोगों को खाना खिला रही है क्योंकि उनके पास अपना खाना खाने लायक कमाई भी नहीं है।

एक आम आदमी किराये के घर में रहता है। वो और उसका परिवार रोज दोनों समय खाना खाता है। वो रसोई गैस खरीदता है। दूध और किराना खरीदता है। बिजली का बिल भरता है। सब्जी खरीदता है। यदि मोटर साइकिल स्कूटर है तो उसमें पेट्रोल भराता है। बच्चों की फीस भरता है। बच्चों की कापी किताबें खरीदता है। अपने व परिवार के लिए कपड़े स्कूल ड्रेस खरीदता है। यदि लोन लेता है तो किश्त भरता है। बीमारी में इलाज कराता है। त्यौहार मनाता है। डोरीलाल सोच सोच कर परेशान है कि 25000 रू या 10,000 कमाने वाला इन खर्चों को निपटाते निपटाते मुस्कुराता कब होगा।

डोरीलाल अमीर आदमी हैं। सुबह सुबह बागीचे में जाकर जोर जोर से हंसते हैं। फिर बी पी और शुगर की दवा खाते हैं। फिर रामदेव का योग करते हैं। फिर आयुर्वेदिक चूरण और एंटासिड खाते हैं। फिर फल खाते हैं। आर ओ का पानी पीते हैं। खाने में मोटा अनाज खाते हैं। केवल आरगैनिक सब्जियां खाते हैं। ड्राइवर को भेजकर फार्म हाउस से गिर गाय का दूध बुलाते हैं। बहुत फायदा करता है। नहाने के बाद एक घंटा पूजा करते हैं। फिर दिन भर ऑफिस और बिजनैस। समय मिलने पर राजनीति पर अपना ज्ञान पेलते हैं। खाली समय में हैप्पीनैस प्रोग्राम अटेंड करते हैं। मन को शांति मिलती है। तनाव मुक्ति और ईश्वरीय प्रश्नों के लिए स्वामी जी के पास जाते हैं। अपने खुद के स्वामी जी रखते हैं। रात को नींद नहीं आती। गोली खाकर सोते हैं। जीवन ऐश में गुजर रहा है।

सुखिया सब संसार है खावे और सोवे
दुखिया दास कबीर है जागे और रोवे
-डोरीलाल रूदनप्रेमी

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Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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