डोरीलाल की चिन्ता:- नकली टिकिट चैकर पकड़ा गया

13 1

 

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

नकली टिकट चैकर पकड़ा गया। वीडियो में दिखाया गया है कि एक नौजवान बाकायदे काली पेंट सफेद कमीज पहनकर बैग लटका कर रेलगाड़ी के डिब्बे में लोगों के टिकिट चैक कर रहा था। ये बात न जाने क्यों यात्रियों को नागवार गुजरी। उन्होंने उसे ठोका तो उसने मान लिया कि वो नकली है। देखने में तो असली लग रहा था। डोरीलाल को समझ नहीं आ रहा कि लोगों ने कैसे पहचाना कि वो नकली है। टिकिट चैकर का टिकिट चैक करना आम बात है। बिना टिकिट वालों का जुर्माना करना भी आम बात है। रूटीन की बात है। टिकिट चैक करते हुए कुछ भ्रष्टाचार करना भी आम बात है। शायद नकली होने के कारण उसने ईमानदारी बरती हो और जुर्माने के पैसे खाने से इंकार कर दिया हो। ईमानदारी से चालान कर रहा हो। इसीलिए पकड़ा गया हो। नकली होने के कारण अंततः जुर्माने की रकम उसे ही मिलना थी। तो नकली टिकिट चैकर का ईमानदारी से काम करना उसे भारी पड़ा और उसका नकलीपन पकड़ा गया।

अब ये बात लोगों की आदत में डाल दी गई है कि कोई भी नकली आदमी टिकिट चैकर हो सकता है। कोई भी नकली इंस्पेक्टर हो सकता है। ये नकली लोग किसी को भी बिना टिकिट घोषित कर सकते हैं। इन नकली टिकिट चैकरों से कोई सुरक्षित नहीं है। ये नौकरियों में हैं। बाग बगीचों में हैं। खेतों खलिहानों में हैं। आपके रसोई घर और बैड रूम हैं। इतिहास में हैं। हर जगह ये नकली लोग असली लोगों को बिना टिकिट घोषित कर रहे हैं। आसाम में ये झगड़ा बहुत पुराना है। वहां नागरिकता रजिस्टर बना डाला। मगर उसके परिणाम बड़े उल्टे आए। गए थे हिन्दू मुसलमान करने के लिए। वहां इन्हीं की गणना में मुसलमानों से ज्यादा हिन्दू विदेशी साबित हो गए। सबको शिविरों में बेड़ दिया गया है। देश की लाखों लोगों की आबादी बिना टिकट घोषित हो गई।

सी ए ए एन आर सी का बिल संसद में पास है। उसका ड्राफ्ट इतने सालों में नहीं बना। बनेगा भी नहीं।उसके उन्माद से जितना रस चूसा जा सकता है, चूस लिया गया है। भाई काहे का कागज काहे का टिकिट काहे का कार्ड ? हम इस देश में पैदा हुए, हमारे बाप हमारे दादा इसी देश में पैदा हुए, फिर हम बिना टिकिट कैसे हुए ? मगर टिकिट चैकर सख्त है। उस पर सत्ता का छाता लगा है। उसने केसरिया बाना पहन लिया है। रणभेरी बज उठी है। अब वो रिपुओं का नाश करके रहेगा। वो धर्मयुद्ध कर रहा है। लगातार विधर्मियों को निपटाने का जुनून उसके अंदर हिलोरें मार रहा है।

नकली लोगों की पूरी सेना है। उसमें लगातार रणबांकुरों की भरती और ट्रेनिंग चल रही है। इस सेना को दिन रात टास्क दिए जाते हैं। उसे इतना व्यस्त रखा जाता है कि उसे सोचने का समय न मिल जाए। इस सेना को लगातार आदेश मिलते हैं। आज इस पर तीखा हमला करना है। कल उसपर पलटवार करना है। उधर चैनल और एंकर एंकराएं हवाई सपोर्ट देते हैं इधर जमीन पर इन्फ्रेन्ट्री और आर्टीलरी यूनिट हमला करती हैं। पीछे से अखबारों की पैदल सेना मार्च करती रहती है।

इस सेना को रोज एक नया निर्देश मिलता है। सुबह से ये लोग इस देश के लोगों को ही राष्ट्रदोही, आतंकी, घोषित करते रहते हैं। पहले यूनीफार्म सिविल कोड का मामला उठा दिया। अच्छे से उलझाया। कागज का एक पन्ना तक सामने नहीं आया लेकिन नकली सेना आई सपोर्ट यू सी सी के नारे लगाती घूमती रही। मणिपुर शुरू हुआ तो कूकी को बुरा और मैतेई हिन्दू का अच्छा साबित करने का काम मिल गया। फिर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव आ गया। तो दिल्ली वाला बिल ले आए। केजरीवाल निंदा का कार्यक्रम पकड़ा दिया गया। तब तक संसद बंद हो गई मगर जाते जाते आईपीसी, सीआरपीसी को नए सिरे से लिख दिया। अब नकली सेना कानून विशेषज्ञ हो गई। कहा गया कि ये अंग्रेजों के बनाए कानून थे। नकली सेना ने समवेत स्वर में गाना शुरू कर दिया है।

जी 20 में हर देश को बारी बारी अध्यक्षता मिलती है। इस बार भारत को मिली है। नकली सेना को भारत के साक्षर ( शिक्षित ? ) मध्यवर्ग को बताना है कि ये महान उपलब्धि है। पूरे देश में हर चीज जी 20 वा कुर्बान है।देश भर में विज्ञापनों की बाढ है। सेमीनार संगोष्ठियों में टीए डी ए हवाई यात्रा और होटलों में ऐश का भरपूर इंतजाम है। ईवेन्ट मैनेजर ने ईवेन्ट प्लान कर लिया है। बहुत से लोग रातों रात विद्वान घोषित हो गए हैं। खुश हैं।

अब पिछले 10 दिनों में एक के बाद एक कई काम दे दिए गए हैं। पहले चन्द्रयान की उपलब्धि को अपने पाले में करना। फिर जी 20 की अध्यक्षता। संसद का अचानक सत्र। अब एक देश एक चुनाव। उधर घोषणा इधर उसके फायदे बताने की मुहिम चालू। सेना काम पर लगी है। व्हाट्सएप और फेसबुक निरंतर व्यस्त हैं।

घृणा और उन्माद की भट्टी में पूरे समय कोयला डालते रहना है।
आग धू धू कर जलाए रखना है।

1/5 - (3 votes)