
जबलपुर। प्रॉपर्टी, मकान मालिक और किराएदारों के विवाद अब सीधे तौर पर न्यायालय में नहीं जाएंगे। इसकी सुनवाई के लिए सरकार किराया न्यायालय और किराया अधिकरण बनाने जा रही है, जिससे लोगों को त्वरित न्याय मिल सके। न्यायालय में कलेक्टर और एसडीएम को अधिकृत सुनवाई करेंगे और अधिकरण में प्रत्येक जिला न्यायालय में पदस्थ एक किसी न्यायाधीश को प्राधिकारी बनाया जाएगा। किराएदार और मकान मालिक इन्हीं संस्थाओं में अपील कर सकेंगे। पक्षकारों को शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय और अधिकरण में आवेदन करना होगा। ये दोनों संस्थाएं आपने स्तर पर मामले की जांच भी करा सकेंगी।
अगर पक्ष विपक्ष में से कोई पेशी में तीन बार से नहीं पहुंचेगा तो एक तरफा फैसला हो जाएगा। आदेश के बाद कब्जा भी दिलाने का काम जिला प्रशासन करेगा। इसके लिए मालिक को जिला प्रशासन में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। किराए पर संपत्ति देने के लिए उसके मूल्य का एक प्रतिशत स्टांप शुल्क के साथ जिला प्रशासन में जमा करना होगा। अनुबंधन की एक प्रति खुद और एक प्रति किराएदार को देना होगा। कब्जा लेने से चैबीस घंटे के पहले किराएदार को इसकी सूचना मकान मालिक को देना होगा। एक माह के अंदर किराएदार अगर कोई संपत्ति को खाली नहीं कर रहा हो इसकी सूचना किराएदारी न्यायालय को देना होगा। बैंक की स्लिप ही रसीद मानी जाएगी।
किराएदार और मकान मालिक के विवाद सीधे न्यायालय में जाते थे। इसकी सुनवाई और फैसले में समय लगता था। इससे न्यायालय पर केसों की संख्या बढ़ती जाती है। इसके साथ ही प्रापर्टी निरंतर प्रापर्टी क्षतिग्रस्त होती थी। इसके अलावा पुराने अधिनियम में अलग- अलग चीजों के लिए डिफाइन नहीं किया गया था। मकान मालिक और किराएदार 50 और 100 रुपए के स्टांप में अनुबंध करते थे, जो कोर्ट में स्वीकार नहीं किया जाता था। इसके लिए सरकार के पास कोई उचित प्लेट फार्म में नहीं था।
सरकार बनाएगी अधिकरण
जिला प्रशासन के अधीन एक अधिकरण बनाया जाएगा। जहां किराए पर देने के लिए प्रापर्टी मालिक अपनी इसका रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक पोर्टल तैयार होगा। इससे लोग प्रापर्टी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे।
फूट अब दुरुस्त करा सकेगा
मकान, प्रापर्टी मालिक अथवा प्रापर्टी की मरम्मत और टूट फूट अब दुरुस्त करा सकेगा। उसे किराएदार नहीं रोक पाएगा, लेकिन इसकी सूचना प्राधिकरण को देना होगा। मरम्मत और सुधार में लगने वाली राशि किराएदार की धरोहर राशि से की जाएगी। किराएदार को एक माह के अंदर इस राशि को देना होगा। वहीं अतिरिक्त निर्माण में लगने वाली राशि को भी किराएदार को देना होगा। इससे किराएदार सहमत नहीं है तो नोटिस देकर मकान खाली कर सकेगा।