जबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

तेवर क्षेत्र के विस्थापितों को नहीं मिल रहे मूलभूत अधिकार विस्थापित लोगों ने लगाई गुहार-हमारी सुनो सरकार

तेवर क्षेत्र के विस्थापितों को नहीं मिल रहे मूलभूत अधिकार विस्थापित लोगों ने लगाई गुहार-हमारी सुनो सरकार

तेवर क्षेत्र के विस्थापितों को नहीं मिल रहे मूलभूत अधिकार
विस्थापित लोगों ने लगाई गुहार-हमारी सुनो सरकार

जबलपुर। मदन महल की पहाडिय़ों से बेदखल किए गए परिवारों को तेवर भड़पुरा क्षेत्र में बसाया गया है। लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें कोई मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं। जिससे यहां रह रहे सैकड़ो लोग तिरपाल, पन्नी लगाकर समय गुजार रहे हैं। जब यहां के लोगों से  उनकी समस्या का हाल-चाल पूछने गए तो पहले तो वह हमें अधिकारी समझ कर हम पर ही बहुत आक्रोशित हुए , फिर हमने उन्हें समझाया कि हम आपकी समस्या सुनने आए हैं फिर वे सभी विस्थापित परिवार के लोग हमसे शालीनता के साथ पेश आए। फिर एक के बाद एक यहां  बस्ती के क्षेत्रीय लोगों ने अपनी समस्याएं बताना शुरू कर दी।और कहा कि  यहां पिछली बरसात में एक व्यक्ति को सांप ने काट लिया था उसे सरकारी अस्पताल ले जाना पड़ा परंतु वहां सही इलाज न मिल पाने से निजी अस्पताल में रेफर किया गया बड़ी मुश्किल से जान बच पाई थी। इन विस्थापितों को साल भर पहले यहां शिफ्ट किया गया था आज यहां  किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं  नहीं मिली है। शासन प्रशासन की तरफ से कई बार जनप्रतिनिधियों की टीमें आ गई और चली गई, केवल उनकी तरफ से आश्वासन ही मिला है यह कहां गया कि मूलभूत जैसी सुविधाएं शीघ्र ही उपलब्ध कराई जाएगी। चुनाव के वक्त वोट मांगने के लिए तरह-तरह के वादे किए गए थे तसल्ली देकर कहा कि हम आपकी सब समस्याओं को दूर करेंगे,लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद वह प्रतिनिधि  दोबारा हाल-चाल पूछने तक नहीं आते हैं। साल भर पहले शासन प्रशासन की तरफ से भी प्रतिनिधियों का दल आ चुका है लेकिन समस्या यहां जस की तस निर्मित है। कलेक्ट्रेट कार्यालय में भी जनसुनवाई में सभी लोगों ने आवेदन देकर  कलेक्टर को सभी समस्या बताई  लेकिन आज तक  कोई समाधान नहीं हुआ।
संजीवनी क्लिनिक
में जड़ा है ताला
यहां रह रहे विस्थापित बस्ती के लोगों में उम्मीद जागी थी कि उन्हें बेहतर इलाज और अच्छी सेवाएं मिलेंगी आमजनों को स्वास्थ्य का लाभ मिलेगा लेकिन हकीकत यह है कि साल भर बीत गए संजीवनी के भवन बने हुए ।जहां अब तक ताला जड़ा  हुआ है और वीरानी पसरी हुई है। बरसों हो गए इंतजार में लेकिन क्लिनिक अब तक शुरू नहीं हो पाया है। विस्थापितों को स्वास्थ्य का लाभ न मिल पाने से उन्हें  डाक्टर के यहां छोटी मोटी बीमारियां का इलाज कराने  दूर-दूर तक जाना पड़ता है। सर्दी, खांसी ,बुखार ,दस्त जैसी बीमारियों के लिए मेडिकल अस्पताल या प्राइवेट चिकित्सकों के पास जाना पड़ रहा है। यदि कोई मरीज यहां सीरियस हालत में हो जाए तो उसे सरकारी एंबुलेंस वाहन तक की  सुविधा नसीब में नहीं है। सरकार की एंबुलेंस सेवा का फ्री नंबर  डायल करने के बाद भी समय पर नहीं पहुंचती है और  एंबुलेंस वाहन चालक भी दूर के कारण यहां आने से कतराते हैं। फिर यहां के लोग खुद के वाहन से या अन्य किराए  के वाहन से लेकर बीमार मरीज को अस्पताल तक पहुंचाते हैं,समय रहते यदि व्यक्ति की जान बच गई तो ठीक है वरना  भगवान भरोसे ही इनकी सुरक्षा होती है।
पीएम आवास का
नहीं मिला लाभ
साल भर पहले मदन महल पहाड़ी से हटाकर तेवर में शिफ्ट  किया गया है। लेकिन यह लोग आज तक अपने मूलभूत अधिकार पाने से वंचित हैं। हटाने के पूर्व प्रशासन ने मूलभूत जैसी सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दिया था।  उन्हें पक्के आवास देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के फॉर्म भी भराए थे। सैकड़ो लोगों ने  आवास के फॉर्म भरे थे। लेकिन  बावजूद इसके अब तक लोग बांस बल्ली गाड़कर , तिरपाल और पन्नी लगाकर रह रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत इन्हें बरसात में होती है जब इनके घरों में जहरीले जीव जंतु ,सांप घुस जाते हैं इन्हें सबसे ज्यादा डर बना रहता है  छोटे बच्चों को कहीं नुकसान ना पहुंचे जिसकी चिंता इनके परिवारजनों हमेशा बनी रहती है।

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