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नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विवि दीक्षांत समारोह- दीक्षांत गुरुकुल की परंपरा,ऋषि-मुनियों ने प्रारंभ की: राज्यपाल मंगूभाई पटेल

 

जबलपुर, यशभारत। दीक्षांत समारोह गुरुकुल की परंपरा रही है, जिसे प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा प्रारम्भ किया गया था। यह परम्परा, गुरुओं द्वारा शिष्यों की कार्यदक्षता और कुशलता की समीक्षा के आधार पर उन्हें विशिष्ट कार्य सौंपे जाने की प्रक्रिया होती थी। भारतीय इतिहास में पशु-पक्षी एवं उनके महत्व का सनातन काल से वर्णन हमारे वैज्ञानिक विकास का प्रतीक रहा है। यह संकेत करता है कि इनके संरक्षण एवं संवर्धन के बिना हमारे समाज का सर्वागीण विकास संभव नहीं है। यह बात राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने वेटरनरी विवि के दीक्षांत समारोह में कही।

 

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उन्होंने कहा कि नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर के विगत वर्षों के अनुरूप आयोजित छठवें दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। दीक्षांत समारोह में उपस्थित विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, प्रबंधन मंडल, विद्या परिषद् एवं प्रशासनिक परिषद् के माननीय सदस्यगण, शिक्षक, गणमान्य नागरिकों एवं विशेषकर विद्यार्थियों को मैं बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। मुझे इस बात से भी प्रसन्नता हो रही है कि पशुधन उन्नयन एवं संवर्धन के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने के साथ ही पशुचिकित्सा विज्ञान संस्थानों के उच्च पदों पर आसीन रहकर इस क्षेत्र में देश को अपनी सेवाएं देने और पशु कल्याण में अपना योगदान देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा डॉ. आदित्य कुमार मिश्र को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया है।

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मैं डॉ. आदित्य कुमार मिश्र को इस अवसर पर बधाई एवं शुभकामनाएं देता। उपाधि पाने वाले सभी विद्यार्थियों के लिए आज का ये समारोह महत्त्वपूर्ण एवं अविस्मरणीय है। आज उपाधि पाने वाले सभी विद्यार्थियों के लिए यह गर्व का अवसर है कि वे सनातन काल से चली आ रही परम्परा के अंतर्गत अपने अध्ययन को पूर्ण कर समाज एवं पशुओं की सेवा के लिए अग्रसर होने जा रहे हैं। इस शुभ अवसर पर आप सभी विद्यार्थियों को मैं कर्तव्य के मार्ग पर पूर्ण मनोबल से आगे बढऩे के लिए मंगलकामनाएं प्रेषित करता

 

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ग्रामोदय की कल्पना उन्नत पशुधन से ही साकार

राज्यपाल ने कहा कि आप सभी विद्यार्थी जिस विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त कर रहे हैं उस विश्वविद्यालय के साथ एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व का नाम समाहित है। भारत रत्न चण्डिकादास अमृतराव देशमुख, जिनको नानाजी देशमुख के नाम से जाना जाता है, उनका ग्रामीण पुनर्निर्माण में योगदान अभिभूत वाला रहा है। वे बाल्यकाल से ही पशु-प्रेमी भी थे। उनका यह दृढ विश्वास था कि ग्रामोदय की कल्पना उन्नत पशुधन से ही साकार हो सकती है। उन्होंने पशु उत्पादन वृद्धि हेतु अपने स्तर पर काफी प्रयत्न किये और इस कार्य के लिए उन्होंने मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र “चित्रकूट” को कर्मभूमि बनाया। वहां देश के पहले ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की एवं कुलाधिपति के दायित्व का निर्वहन करते हुए गाँवों के सर्वांगीण विकास के लिए आत्मनिर्भर गाँव की योजनाएं चलायीं।

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एक मात्र विवि जो पशुओं के क्षेत्रों में सेवाए दे रहा
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश राज्य में यह एकमात्र विश्वविद्यालय है जो संपूर्ण राज्य में पशुओं से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहा है। इसके साथ ही शिक्षण के माध्यम से प्रतिवर्ष पशु-चिकित्सकों एवं पशु-सहायकों को इस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में सम्मिलित कर रहा है। विश्वविद्यालय में तीन पशुचिकित्सा महाविद्यालय जबलपुर, महू और रीवा में हैं, साथ ही साथ जबलपुर में एक मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय, स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फॉरेन्सिक एंड हैल्थ तथा पशु जैवप्रौद्योगिकी केंद्र भी है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत नौ पशुचिकित्सा डिप्लोमा कॉलेज हैं जिनमें से पाँच स्ववित्त पोषित एवं चार निजी क्षेत्र द्वारा संचालित हैं। इसके अलावा एक डिप्लोमा, निजी क्षेत्र द्वारा डेयरी टेक्नोलॉजी में संचालित है। मुझे ज्ञात हुआ कि शिक्षण को सुदृढ़ बनाने हेतु विश्वविद्यालय द्वारा विगत समय में शिक्षकों की भर्ती की गयी और यह एक आवश्यक कदम था। मैं ये आशा करता हूँ कि शिक्षण कार्य को सबल करने का यह प्रयास सफल एवं महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।।

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फैक्ट फाइल..
-राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख जी की मूर्ति का अनावरण
-कुल – 13 गोल्ड मैडल छात्र-छात्राओं को दिये गए (सत्र 2018-19 2019-20, 2020-21 )
-जिसमें बी. वी. एस. सी. एंड ए.एच में 3
– बी. एफ.एस.सी में 3
– एम. वी.एस.सी. में 3
– स्वर्गीय डॉ. एम. आर. लक्ष्मण राव स्वर्ण पदक (लाइफ स्टॉक प्रोटेक्शन मैनेजमेंट में सर्वोच्य अंक हेतु) 3 स्वर्ण पदक
-6 वॉ दीक्षांत समारोह से वाईस चांसलर स्वर्ण पदक भी दिया गया। जो कि सत्र – 2020-21 के पास आउट छात्र / छात्राओं में से उनके उत्कृष्ठ छात्र (आउट स्टेडिंग प्रोफोमेंस) के आधार पर रहा।
-पी.एच.डी में
-सर्टिफिकेट ऑफ मैरिट 3
– कुल 968 छात्र-छात्राओं को डिग्री सर्टिफिकेट दिया गया।
-जिसमें बी. वी. एस. सी. जबलपुर, महू रीवा, कॉलेज के कुल – 612 हैं।
– बी.एफ.एस.सी के 75
-एम.वी.एस.सी. – 245
-पीएचडी – 37

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