उदित को पीटने के बाद थाने गए थे आरक्षक संतोष, सौरभ
पिपलानी थाने में पुलिस अधिकारियों की निगरानी में बैठे रहे दोनों आरक्षक

उदित को पीटने के बाद थाने गए थे आरक्षक संतोष, सौरभ
– पिपलानी थाने में पुलिस अधिकारियों की निगरानी में बैठे रहे दोनों आरक्षक
– भोपाल बार काउंसिल के अध्यक्ष अध्यक्ष बोले एफआईआर में केस को कमजोर करने की कोशिश

भोपाल यशभारत। इंजीनियरिंग के छात्र उदित गायकी की मौत के लिए जिम्मेदारी दोनों निलंबित आरक्षक सौरभ आर्य, संतोष बामनिया को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक दोनों आरक्षकों को एसओएस संस्था के पास से गिरफ्तार किया गया है। आरोपितों के पास से घटना में प्रयुक्त डंडा भी जब्त कर लिया गया है। पुलिस ने भले ही आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन कार्रवाई सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है। दरअसल उदित के साथ मारपीट करने के बाद दोनों आरक्षक थाने पहुंचे थे। रात 10 बजे से सुबह 10 बजे तक ड्यूटी थी। खुद को बचाने के लिए दोनों ड्यूटी के पहले ही थाने पहुंचे और आला अधिकारियों को घटना की सूचना दी। जिसके बाद दोनों आरक्षकों को बचाने के लिए तानाबाना बुनना शुरू हो गया।

मृत्यु का कारण पीठ पर लगे घातक प्रहार
एफआईआर को इस तरह तैयार किया गया है कि उसमें आरोपियों को बचाने की कोशिश की गई है।
एफआईआर में यह उल्लेख किया गया है कि मृतक उदित और उसके साथी शराब के नशे में थे और विवाद इसी बात पर हुआ। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शराब के सेवन का कोई जिक्र नहीं है। रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि मृत्यु का कारण पीठ पर लगे घातक प्रहार से हुआ आंतरिक रक्तस्राव है। इससे यह संकेत मिलता है कि उदित की मौत किसी गंभीर चोट की वजह से हुई, न कि किसी दुर्घटना या नशे के प्रभाव से।
केस दर्ज करने में पुलिस ने की देरी
पुलिस मृत्यु का कारण पीठ पर लगे घातक प्रहार
सूत्रों के मुताबिक दोनों आरक्षक ड्यूटी समाप्तीके समय से पहले ही पिपलानी पहुंचे थे। उन्हें पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर रात भर थाने में रखा गया। छात्र की मौत की खबर लगने के बाद जब परिजन व अन्य लोग थाने पहुंचे तब तक दोनों आरक्षक पुलिस की निगरानी में ही थे, लेकिन पुलिस मर्ग केस दर्ज करने के बाद हत्या का मामला दर्ज करने में जुटी और उसके बाद भी आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं दर्शाई गई।
राजनीतिक दबाव के बाद हुई गिरफ्तारी
जैसे-जैसे मामला सोशल मीडिया में उछला, जनाआक्रोश बढऩे लगा। मृतक के परिवार और स्थानीय नागरिकों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि आरोपी आरक्षकों को जानबूझकर बचाया जा रहा है। मामला बढ़ता देख सांसद आलोक शर्मा मृतक उदित के घर पहुंचे और परिवार से मुलाकात की। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात कर आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। बढ़ते दबाव के बाद आखिरकार पुलिस को दोनों आरक्षकों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी।
एफआईआर पर उठ रहे यह सवाल
एफआईआर में यह दिखाने की कोशिश की गई कि घटना नशे में झगड़े के दौरान हुई, जिससे पुलिसकर्मियों की मंशा हत्या की नहीं, बल्कि झगड़े की लगती है। परंतु पीएम रिपोर्ट और गवाहों के बयान इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह एक जानबूझकर किया गया हमला था।
केस को कमजोर करने की ही कोशिश की गई है
भोपाल जिला बार काउंसिल के अध्यक्ष दीपक खरे का कहना है कि यदि एफआईआर में जो इबारत पुलिस ने लिखी है वह सीधे तौर पर दोषियों को बचाने की मंशा दर्शा रही है। भोपाल शहर के अंदर ढेरों पब हैं जहां शराब परोसी जा रही है। वहां पुलिस कभी नहीं पहुंचती। एक छात्र अपने दोस्तों के साथ बैठा था और पुलिस कर्मी उसके साथ बर्बाता करते हैं यहां कहां तक न्यायोचित है। जो भी पुलिस आरक्षक इस पूरे हत्याकांड में शामिल हैं उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
आरक्षकों से पूछताछ की जा रही है
हत्या के आरोपित दोनों आरक्षकों को गिरफ्तार कर लिया गया है, उनके पास से वह डंडा भी जब्त कर लिया गया है जिससे उदित की पिटाई गई थी। आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जा रहा है। एफआईआर में उन्हीं तथ्यों को लिया गया जो बयान में सामने आए हैं।
– अदिति वी सक्सेना , एसीपी, गोविंदपुरा







