बांग्लादेश को पसंद आ गयी जीसीएफ की बनी एलएफजी
बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल ने फैक्ट्री का दौरा कर जानी विशेषताएं

जबलपुर यशभारत। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश को जीसीएफ में बनी लाइट फील्ड गन (एलएफजी) पसंद आ गयी है।बांग्लादेश की दो सदस्यीय टीम ने गत दिनों यहां दौरा कर अधिकारियों से चर्चा कर लाइट फील्ड गन की विशेषताओं को जाना परखा। बताया जाता है कि टीम को एलएफजी पसंद आ गई है।अबआगे की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जीसीएफ को जल्द ही निर्माण का बड़ा आर्डर मिल सकता है।
बांग्लादेश को 150 तोपों की आवश्यकता
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश को करीब 150 तोपों की आवश्यकता है।जिसका आर्डर मिलने पर जीसीएफ को दो वर्ष के लिए काम मिल सकता है।जानकारी के अनुसार भारतीय सेना द्वारा आखिरी बार कारगिल युद्ध तक इसका उपयोग किया।लेकिन अब सेना ने अब एलएफजी का उपयोग बंद कर दिया है। जीसीएफ ने भी फिलहाल इसका उत्पादन बंद कर दिया है।लेकिन अभी भी उसके पास निर्माण के लिए ढांचागत सुविधाएं और विशेषज्ञता भरपूर उपलब्ध है ।जिसके कारण एलएफजी का उत्पादन द्रुत गति और अच्छी गुणवत्ता के साथ हो सकता है।यदि बंगलादेश से आपूर्ति का अनुबंध होता है तो दो साल में इसका आर्डर पूरा हो सकता है।बताया जाता है कि बंगलादेश प्रतिनिधियों के दौरे के बाद अन्य प्रक्रिया और औपचारिकताओं के जीसीएफ में फिर से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा।
जानकारी के अनुसार 105 एम एम केलिबर यह तोप मूल रूप यूके की है जिसे ब्रिटिश सेना उपयोग करती है। 1972 में इसे भारतीय सेना में इंडियन फील्ड गन के रूप में शामिल किया गया।इसके स्वदेशीकरण के बाद इसे सेना के लिए और हल्का तथा सुविधाजनक बनाया गया और इसे लाइट फील्ड गन(एलएफजी)नाम दिया गया।जीसीएफ में निर्मित एलएफजी को सेना के साथ ही बीएसएफ को इसकी आपूर्ति की गई है।पूर्व में आयुध निर्माणियों का सामान सिर्फ सेना को ही आपूर्ति किया जाता था।