पुरखों को विदा करने नर्मदा तटों पर उमडा परिजनों का सैलाब
गौरीघाट तिलवारा घाट और लम्हेटा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़

जबलपुर यश भारत। पितृपक्ष के समापन अवसर पर आज पुरखों को विदा करने के लिए नर्मदा तटों गौरी घाट तिलवारा घाट भेड़ाघाट लम्हेटा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। गौरी घाट, तिलवारा घाट और लमहेटा में श्रद्धालुओं का सैलाब नजर आया। पितृपक्ष के 15 दिनों तक पूर्वजों को पानी देने के साथ ही तर्पण आदि करने के बाद आज उन्हें भारी मन से विदा किया जा रहा है।पितृ मुक्ति की कामना और श्राद्ध कर्म के लिए लोग बड़ी संख्या में नर्मदा नदी के किनारे पहुंच रहे हैं। नर्मदा तटों की तो यह स्थिति रही की वहां पर रखने तक की जगह नजर नहीं आ रही थी। प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी नाकाफी साबित हुई। भीड़ के कारण लोगों को जाम से भी जूझना पड़ा।
पितृ मुक्ति का महत्व
पितृ मुक्ति के दिन पितरों को विदाई दी जाती है, जिससे वे अपने लोक जा सकें और अपने वंशजों को आशीर्वाद दें। इस दिन श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज जैसे कार्य किए जाते हैं।
नर्मदा नदी का महत्व
नर्मदा नदी को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इस नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृ मुक्ति के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
व्यवस्थाएं
भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने नर्मदा नदी के घाटों पर सुरक्षा और व्यवस्था के इंतजाम किए हैं। हालांकि, भीड़ के कारण कुछ जगहों पर जाम की स्थिति भी देखी जा रही है।
श्राद्ध कर्म का महत्व
श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति होती है। इससे वंशजों को भी लाभ होता है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। पितृ मुक्ति के दिन श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व है ¹.







