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जबलपुरमध्य प्रदेश

पीडियाट्रिक सर्जरी देश में उभरती हुई विधा

हर जिले में शिशु सर्जन उपलब्ध हों, तभी शिशु मृत्यु दर में लगेगा अंकुश

यश भारत प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला में आज डॉक्टर एसोसिएशन के सचिव और शिशु सर्जरी विशेषज्ञ नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर विकेश अग्रवाल से यश भारत के संस्थापक आशीष शुक्ला ने विस्तृत चर्चा की। इस दौरान श्री अग्रवाल ने कहा कि मां नर्मदा की कृपा और संस्कारधानी वासियों का आशीर्वाद सदैव रहा है, शिशु सर्जरी आज की उभरती हुई विधा है पहले बच्चों में सर्जरी को लेकर भय ,भ्रांति होती थी कि नवजात शिशु की सर्जरी आखिर होगी कैसे, लेकिन अब यह सहज रूप से संभव है। मेडिकल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी अब शुरू हो चुका है यह भी गौरव की बात है। हर जिले में शिशु सर्जन उपलब्ध होंगे तभी शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लग सकेगाl

सवाल – बच्चों की क्या प्रमुख बीमारियां होती हैं और सर्जरी की आवश्यकता कैसे पड़ती है|

जवाब -बच्चों में कई प्रकार की बीमारियां होती हैं जिनका ट्रीटमेंट पेडियाट्रिक सर्जन को करना चाहिए सामान्य रूप से शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन , जननांग में सूजन आना या जन्मजात विकृति होना, जिसमें बच्चों की किडनी में स्वेलिंग आना या पेशाब का छिद्र सही जगह पर नहीं होना या अंडकोष में कोई प्रॉब्लम होना, हर्निया की प्रॉब्लम होना या कटे होंठ ,तालु सामान्यतः यह समस्या जन्मजात बच्चों में होती है और लोग भी अब जागरुक हो चुके हैं और उनको यह समझ आने लगा है की सर्जरी से इन विकृतियों को सुधारा जा सकता हैl

सवाल – मॉडर्न पेडियाट्रिक सर्जरी कैसे उभर रही है।

जवाब -पेडियाट्रिक सर्जरी तो एक बड़ा सामान्य नाम है लेकिन मॉडर्न पेडियाट्रिक सर्जरी एक उभरता हुआ नाम और विधा है। मॉडर्न का अर्थ होता है जब सर्जरी में टेक्नोलॉजी का सहयोग ले लिया जाए और सर्जरी को आसान बना दिया जाए सिर्फ सर्जरी करने में आसानी ना हो बल्कि यह मरीज के लिए एक सुखद और सुरक्षित अनुभव हो जाए ।पहले पीडियाट्रिक सर्जरी में सबसे बड़ा चैलेंज हुआ करता था सुरक्षा को लेकर और दूसरा बड़ा चैलेंज था बच्चों की तकलीफ को लेकर, लेकिन अब मॉडर्न पीडियाट्रिक सर्जरी में दूरबीन के माध्यम से और अन्य माध्यम से यह आसान हो गया है।

सवाल – जबलपुर में मॉडर्न पीडियाट्रिक सर्जरी होती है?

जवाब- जब तक कोई भी विद्या देश के छोटे से छोटे शहरों में भी न पहुंचे तब तक वह विद्या अपने आप में संपूर्ण नहीं होती मॉडर्न पेडियाट्रिक सर्जरी की खास बात यह है कि अगर आपके पास उपकरण अच्छे होते हैं तो सर्जरी सुविधाजनक हो जाती है जबलपुर शहर में 200 से लेकर ढाई सौ एनेस्थीसिया के डॉक्टर हैं लेकिन कुछ ही विशेषज्ञ डॉक्टर ऐसे हैं जिन्हें बच्चों में एनेस्थीसिया देने में महारत हासिल है इसमें प्रमुख रूप से एनेस्थीसिया बारीकी से देना पड़ता है। जबलपुर में बहुत ही सफल सर्जरी होती है।

सवाल – शिशु की मृत्यु दर कैसे कम की जा सकती है।

जवाब- यह बड़ा चिंताजनक विषय है देश में शिशु मृत्यु दर निरंतर कम हो रही है यह अच्छी बात है, लेकिन विकसित राष्ट्र बनने हेतु शिशु मृत्यु दर में अंकुश लगाना आवश्यक है।

सवाल – जन्मजात विकृति को कैसे पहचाना जा सकता है।

जवाब- यह बहुत बड़ा डेवलपमेंट अभी पिछले दशकों में हुआ है आज अल्ट्रासाउंड हाई क्वालिटी का हो गया है और 90 फीसदी वर्थ डिफेक्ट जन्म के पहले पकड़े जा सकते हैं लेकिन एक बात महत्वपूर्ण है कि किसी भी बीमारी को जन्म के पहले पकड़ने का यह उद्देश्य नहीं होता कि बच्चों का एबॉर्शन किया जाए बल्कि यह जानने के लिए की बच्चों में बीमारी है इस हेतु मां-बाप को तैयार करना और इलाज करन। आज एक प्रमुख समस्या है किडनी में स्वेलिंग आना जो इलाज से संभव है। आज गर्भस्थ शिशु के उपचार की संपूर्ण व्यवस्था है पेडियाट्रिक सर्जन की सलाह से यह संभव और आसान है।

सवाल – मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं में इलाज कितना संभव है।

जवाब- ढलती उम्र में शादियों के कारण प्रजनन में समस्या बढ़ती जा रही हैं जिसके चलते आईवीएफ पद्धति से बच्चों को जन्म दिया जा रहा है । वर्तमान समय में अगर बच्चे कम समय में और कम वजन में भी जन्म ले रहे हैं तो उनका इलाज हर स्टेज में संभव है और वह सामान्य बच्चों की तरह ही जीवन जी सकते हैं और मस्तिष्क में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता जब समय पर उपचार नहीं मिलता तब यह प्रभाव बच्चों के मस्तिष्क में पड़ता है। लेकिन आज मॉडर्न टेक्नोलॉजी और बच्चों के माता-पिता की जागरूकता के चलते हर स्टेज में इलाज संभव है।

सवाल – देश की अपेक्षा जबलपुर में शिशु शल्य क्रिया विशेषज्ञ कितने हैं?

जवाब- यदि देश की बात करें तो ओवरऑल 800 जिला है यदि ऐसे देखा जाए तो मात्र एक जिले में दो पीडियाट्रिक सर्जन है। सामान्य रूप से बहुत जिलों में पेडियाट्रिक सर्जन की कमी है जब तक जिले स्तर पर पीडियाट्रिक सर्जन नहीं पहुंचेगा तब तक शिशु मृत्यु दर पर अंकुश लगाना असंभव है। आज भी ऐसे बहुत सारे मेडिकल कॉलेज हैं जहां पेडियाट्रिक सर्जन ही नहीं है। मध्य प्रदेश में ही करीब 17 -18 मेडिकल कॉलेज में से केवल पांच मेडिकल कॉलेज में ही सर्जन है जबकि अन्य मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक सर्जन ही नहीं है।

सवाल – पेडियाट्रिक सर्जन में युवाओं का रूझान कम है क्या ❓

जवाब- हमारी संस्था ने पीडियाट्रिक सर्जन को लेकर बहुत काम किया है आज शिशु शल्य चिकित्सा दिवस भी है इस उपलक्ष में हमारी संस्था ने इंडिया नीड पेडियाट्रिक सर्जन इन ऐनी जिला हमारे संस्था की थीम भी है ।तभी हम विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ सकते है ।

सवाल – इंडियन एसोसिएशन इन पैट्रियाटिक सर्जन के सचिव के रूप में आप किन बदलावों की अपेक्षा करते हैं।

जवाब- बदलाव की ओर हमारी संस्था लगातार प्रयास कर रही है ।इसके लिए सरकार से काफी पत्राचार किया हुआ है हमें पूरा विश्वास है कि सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा और हम चाहते हैं कि तीन महत्वपूर्ण विषय है जिन पर हम काम करना चाहते हैं , हर मेडिकल कॉलेज में एक पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग होना चाहिए। हर जिले की मेडिकल में एक पीडियाट्रिक सर्जन होना आवश्यक है और जन्मजात बीमारियों में इंश्योरेंस कवर होना चाहिए। विकसित राष्ट्रों में यह व्यवस्था पहले से है जबकि हमारे देश में इस प्रकार की कोई भी व्यवस्था नहीं है ।ऐसे में हमारे संघ ने एल्डा को पत्र लिखा हुआ है और बहुत जल्दी हमारी संस्था इसको रिप्रेजेंट करने वाली है। श्री अग्रवाल ने बताया कि सुना है कि देश में 13 करोड लोग गरीबी रेखा के ऊपर आ चुके हैं अब हो सकता है कि इन्हें सरकारी लाभ मिले या ना मिले लेकिन अब यह इंश्योरेंस में आधारित हो जाएंगे, अभी यह न्यू मिडिल क्लास लोग हैं। ऐसे में गर्भस्थ शिशुओं का भी इंश्योरेंस होना आवश्यक है। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस सदी में भारत बहुत स्पीड से आगे बढ़ रहा है अब हमें सर्जरी से घबराना नहीं चाहिए और पीडियाट्रिक सर्जन शिशुओं की सुरक्षात्मक सर्जरी करने में सक्षम है सभी जागरूक बने और अपने डॉक्टर की सलाह माने।

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