मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उम्रकैद को फांसी में बदले जाने की मांग पर तलब किया जवाब, चित्रकूट के जुड़वा बच्चों की हत्या का मामला

जबलपुर। हाई कोर्ट ने चित्रकूट के छह साल के जुड़वा बच्चों की फिरौती के लिए सनसनीखेज हत्याकांड के आरोपितों को दोहरे उम्रकैद की सजा को फांसी में बदलने की मांग पर अंतिम सुनवाई के लिए मामला स्वीकार कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की युगलपीठ ने इस मामले में सरकार सहित सभी पांच आरोपितों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। बच्चों के पिता बृजेश रावत ने निचली अदालत के फैसले को बदलने हाई कोर्ट में अपील दायर की है।
रावत की ओर से अधिवक्ताओं ने हाई कोर्ट से कहा कि यह मामला विरल से विरलतम श्रेणी में आता है, इसलिए आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए। छह साल के जुड़वा भाई श्रेयांश और प्रियांश उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के तेल व्यापारी बृजेश रावत के बेटे थे। 12 फरवरी, 2019 को स्कूल परिसर से एक स्कूल बस से छह लोगों ने इनका अपहरण किया था और एक करोड़ रुपये फिरौती मांगी थी। बदमाशों ने दोनों भाइयों की हत्या करने के बाद भी 20 लाख रुपये फिरौती वसूल ली थी और फिरौती मिलने के चार दिन बाद 24 फरवरी को दोनों के शव उत्तर प्रदेश के बांदा जिला में यमुना नदी में मिले थे। सतना की अदालत ने 26 जुलाई 2021 को पांचों आरोपित पदमकांत शुक्ला, राजू द्विवेदी, आलोक सिंह, विक्रमजीत सिंह और अपूर्व यादव को दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई थी। एक आरोपित की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो गई थी।
जमानत अर्जी निरस्त
सोमवार को पदमकांत शुक्ला ने जमानत आवेदन पेश कर कहा कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है। उसने 15 दिन की अस्थाई जमानत देने की मांग की। आपत्तिकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं ने दलील दी कि आरोपितों ने बहुत ही दुर्दांत तरीके से बच्चों की हत्या की है। आरोपितों ने 10 दिन तक बच्चों को कैद में रखकर नशे की गोलियां दीं। फिरौती लेकर भी हत्या कर लाश पिंजरे में बंद कर नदी में फेंक दी। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अस्थाई जमानत देने से इनकार कर दिया।







