ग्रामीण इलाकों में अभी से गहराने लगा जल संकट, रीठी- बहोरीबंद क्षेत्र हर साल जूझता है जल संकट से, विभाग ने बनाई करोड़ों की कार्ययोजना

कटनी, यशभारत। गर्मी के आते ही जिले में एक बार फिर जल संकट गहराने लगा रहा है। तो विभाग एक बार फिर से जल संकट की कार्ययोजना बनाने में जुट गया है।
ज़िले में कुल 950 गांव हैं, इन गांवों को 6 पंचायत समितियों में बांटा गया है, ज़िले की कुछ तहसीलों और उनमें आने वाले गांवों की संख्या बहोरीबंद तहसील में 195 गांव हैं, विजयराघवगढ़ तहसील में 142 गांव हैं, ढीमरखेड़ा तहसील में 221 गांव हैं, बरही तहसील में 50 गांव हैं। इनमें से लगभग 152 गाँवो में अभी से जलसंकट गहराने लगा है।सबसे ज्यादा जल संकट रीठी बहोरीबंद के अलावा ढीमरखेड़ा, विजयराघवगढ़ शहर से लगे ग्रामीण व शहरी इलाकों में जल संकट की आहट शुरू हो गई है। खासकर पथरीले क्षेत्र में बसी आदिवासी बस्तियों के लिए ये आपदा से कम नही होता । सवाल उठता है जब इन इलाकों में पानी की कमी से हर साल विभाग जूझता है तो फिर समय से पूर्व कार्ययोजना क्यों नही बनाता ताकि समय रहते जल संकट से निज़ात मिल सके।
लोकस्वास्थ्य यांत्रिक विभाग ने इन गांवों को चिन्हित करते हुए 6.17 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, ताकि पेयजल संकट से निपटा जा सके। विभागीय जानकारी में बताया गया कि सर्वाधिक संख्या बहोरीबंद व रीठी ब्लॉक के गांवों की है। जहां पेयजल संकट से निपटने के लिए हैंडपंपों में राइजिंग पाइप बढ़ाकर व सिंगलफेस मोटर डालकर स्पॉट सप्लाई से काम चलाया जाएगा। इसी तरह पेजयल परिवहन की कार्ययोजना के माध्यम से संकट से निपटा जाएगा।
297 सिंगक फेस मोटर की डिमांड
जल स्तर नीचे जाने के जलस्रोत कम होने के कारण पीएचई ने 297 सिंगल फेस मोटर पंप की मांग की है। जिले में 10677 हैंडपंपों के माध्यम से गर्मी में में व्यास प्यास बुझाई जाएगी। जल स्तर कम होने से बंद होने की स्थिति में होने के कारण इन हैंडपंपों में 2614 हैंडपंप में राइजर पाइप बढ़ाने की मांग की गई है। 150 नलकूप खनन के प्रस्ताव है। जिसमें करीब 6.17 करोड़ खर्च होना अनुमानित है।
662 प्रोजेक्ट में 303 पूरे होने का दावा
जिले में जलजीवन मिशन की योजनाओं के तहत कार्य चल रहे हैं। जानकारी के अनुसार, 662 प्रोजेक्ट में 303 पूरे हो गए हैं। वहीं 22 पुरानी नल-जल -जल योजनाएं चालू हैं। पीएचई का दावा है कि इनमें से 115 में 75 से 100 फीसद की पूर्णता की ओर हैं। समस्या यह होती है कि जल स्तर नीचे गिरने के कारण नलजल योजनाएं तोड़ देती हैं।
इन गांवों में पेयजल संकट
जहां पर पेयजल संकट है। इनमें बहोरीबंद तहसील के करीब 35 गांव शामिल हैं। इनमें शिकारपुरा, कुम्हरवारा, खमतरा, चनपुरा, खम्हरिया, सलैयाकला, पिपरिया पटौरी, मंगेला, रैपुरा, अमाड़ी, चरगवां, बरही, मनगवां, बरतरा, सिहुड़ी, पटीराजा, छुरिया, इमलिया, सकरवारा, गौरहा, रक्सेहा सहित अन्य गांव शामिल हैं। रीठी के करीब 38 गांवों में पेयजल संकट अधिक होता है। इन गांवों में तहसील क्षेत्र का रमपुरा, कुडाई, सूखा, लालपुरा बरगवां, गुरजीखुर्द, पाली, देवरीखुर्द, रूडमूड, अमगवां सलैया, नयाखेड़ा, कठौतिया, बडगांव भटवा मुहल्ला, बड़ांव गंगानगर, सुगवां, नैगवां, जमुनिया मढादेवरी, चिखला, नयाटोल पटौंहा, खम्हरिया-1, कुदरी, बरजी, लाटपहाड़ी, सैदा, मुहांस, गोदाना, रैपुरा, कराहिया कुन्हा, सेमडारी, बकलेहटा, खरखरी नंबर 2, खुसरा, सहित अन्य गांवों में समस्या होती है।
इनका कहना है
जिले के करीब 152 गांव चिन्हित हैं, जहां पर पेयजल संकट की स्थितियां बनती हैं। इससे निपटने के लिए विभाग तैयार है। इसके लिए 6.17 17 करोड़ रुपए की योजना का प्रस्ताव भेजा गया है। साथ बन्द पड़ी नल जल योजनाओं को एक बार फिर दुरुस्त कराने का अभियान चल रहा है।
केएस डामोर
कार्यपालन यंत्री, पीएचई

