कटनीमध्य प्रदेश

सब्र का पैमाना छलकता है, तब ऐसे ही सड़क पर आती है जनता

बड़ा सवाल : सांसद, विधायक या मेयर, जनता किसे माने दोषी

WhatsApp Icon
Join Yashbharat App

कटनी। जनता की चेतावनी के बाद चांडक तिराहे से घंटाघर मार्ग समेत जुलूस मार्ग से जुड़ी सड़कों पर मरहम पट्टी का काम शुरू तो कर दिया गया है, लेकिन सवाल वही है कि आखिर सालों से चली आ रही दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है। नख से सिख तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, तब दोषी किसे माना जाए। शहर में की हालत अगर दिनोदिन बदतर होती जा रही है तो इसमें उस जनता का क्या कुसूर जिसने चुनाव में वोट देकर अपने भाग्यविधाताओं को चुना। ताज्जुब तो इस बात पर है जिस दिन कटनी के हजारों लोग घंटों जाम में फसकर कराह रहे थे, उसी दिन क्षेत्र के सांसद वीडी शर्मा कटनी में अपने जन्मदिन के गुलदस्ते कुबूल कर रहे थे। भाजपा कार्यालय में पहुंचकर उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से बातचीत में पार्टी के सदस्यता अभियान की बात तो की लेकिन उस दिन जो दंश शहर की जनता ने भोगा, उस पर एक शब्द उनके मुख से नही निकला। इसे सांसद की संवेदनशीलता कहा जाए या अतिआत्ममुग्धता। क्या कटनी के लोगों की इतनी अधिक मजबूरी है कि कोई जनप्रतिनिधि उसके साथ चाहे जैसा सुलूक करे, लेकिन लोगों को वोट देना ही पड़ेगा। 1 अक्टूबर को चांडक तिराहे पर हुए आंदोलन ने साबित कर दिया कि लोगों के सब्र का पैमाना छलक चुका है। सुधार की उम्मीदों की इंतहा हो चुकी है, अब जनता जनप्रतिनिधियों के साथ सीधे टकराव का मन बना चुकी है। आंदोलन के तरीके पर लोगों को एतराज हो सकता है। सड़क जाम के किए शहर के किस स्थान को चुनना चाहिए था, इस पर मतभेद हो सकता है और सड़क जाम करने से पहले प्रशासन की अनुमति ली गई या नही, इस पर भी सवाल उठ सकते हैं, लेकिन जनता जब फटेहाल व्यवस्था को लेकर बिफर जाए तो भला उसे कौन रोक सकता है। इस बार वही हुआ। नवरात्र पर्व शुरू हो चुका है। दशहरा जुलूस मार्ग के साथ जालपा देवी मंदिर जाने वाले मार्ग और स्थापना स्थलों के आसपास की जर्जर सड़कें श्रद्धालुओं का इम्तहान ले रही हैं, ऐसे में लोग अपनी व्यथा लेकर किसके पास जाएं। जनता को इससे कोई सरोकार नहीं कि एक जनप्रतिनिधि का दूसरे जनप्रतिनिधि से छ्तीस का आंकड़ा है या विकास कार्यों की रफ्तार में कोई अड़ंगे का रोना रो रहा है। जनता को इससे भी मतलब नहीं कि बाहर का कोई नेता इस शहर की तकदीर लिख रहा है, और स्थानीय नेताओं की मजबूरी है कि वे उसके पीछे जी हुजूरी की मुद्रा में खड़े रहें। जनता तो सिर्फ काम चाहती है। अच्छी सड़कें चाहती है। सफाई और प्रकाश की बेहतर व्यवस्था चाहती है। कानून व्यवस्था के साथ सुगम यातायात की पक्षधर है, लेकिन कटनी के वाशिंदों को मौजूदा नेतृत्व के भरोसे यह सब नसीब नहीं हो पा रहा, इसलिए लोग अपनी सीमाएं लांघने लगे। जाहिर है जनता जब सड़क पर अपना अधिकार मांगने निकल पड़ती है तो उसके लिए कोई नेता मायने नहीं रखता। प्रशासन की कोई बंदिश मायने नहीं रखती। घंटों जाम रहने से पूरे शहर में अफरातफरी की स्थिति बनी रही। लोग हर सड़क पर फसे रहे, इनमें स्कूली बच्चे और बीमार नागरिक भी थे, लेकिन आंदोलनकारियों से बात करने और रास्ता खुलवाने कई घंटे कोई जनप्रतिनिधि आगे नहीं आया। आंदोलन करने वाले लोग अपनी मांग पर अडिग थे, बाद में आयुक्त के साथ मेयर पहुंची और उन्होंने कुछ बिंदुओं पर आश्वासन देकर धरना खत्म कराया। पता तो यह भी चला है कि सदस्यता अभियान की बैठक लेने वीडी शर्मा को कटनी आना था। उनके आने से पहले यह बला टल जाए, इसलिए अधिकारी हरकत में आए और धरना खत्म कराने पसीना बहाया।

Screenshot 20241003 162042 WhatsApp2 Screenshot 20241003 162027 WhatsApp2

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button