नसबंदी ऑपरेशन के बाद भी गर्भवती हुई महिला, समय निकलने के बावजूद मांग रही गर्भपात की अनुमति

JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक गर्भवती आदिवासी महिला ने गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की। महिला 5 माह की गर्भवती है, खास बात यह है कि महिला ने अपनी स्वेच्छा से नसबंदी का ऑपरेशन करा लिया था, बावजूद इसके वह गर्भवती हो गई। महिला ने मांग की है कि उसके पहले ही दो बच्चे हैं, ऐसे में अदालत उसे गर्भपात की इजाजत दे, क्योंकि तीसरी संतान हो जाने पर वह कई योजनाओं का लाभ पाने से वंचित हो जाएगी।
अदालत ने दिए डॉक्टरों के कमेटी गठित करने के आदेश
इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने महिला की मेडिकल जांच के लिए मेडिकल अस्पताल जबलपुर में डॉक्टरों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए हैं, जो महिला की जांच कर उसकी रिपोर्ट सौंपेगी। दरअसल मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के मुताबिक 24 सप्ताह से अधिक गर्भकाल वाले भ्रूण का गर्भपात नहीं करवाया जा सकता।
संतान की जिम्मेदारी का किया जाए निर्धारण
अदालत में याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि नसबंदी का ऑपरेशन फेल होने की स्थिति में उत्पन्न संतान की जिम्मेदारी का निर्धारण किया जाए। जिस पर अदालत ने मेडिकल कॉलेज की डीन को महिला की जांच के लिए चिकित्सकों की समिति गठित करने के आदेश दिए हैं।