क्या नए कलेक्टर कस पाएंगे दूध माफिया पर नकेल? प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी के बीच दो महीने से जारी है मनमानी
प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में जबलपुर में महंगा बिक रहा दूध

जबलपुर यश भारत। शहर में बीते दो महीनों से दूध के बढ़े हुए दाम आम उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा बोझ डाल रहे हैं। स्थानीय डेरी संचालकों द्वारा अचानक दूध के दामों में 3 से 5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी गई थी। तब से लेकर आज तक जबलपुर में दूध ₹73 से ₹75 प्रति लीटर तक बिक रहा है — जो कि प्रदेश के अन्य बड़े शहरों जैसे भोपाल, इंदौर से अधिक है।
विशेषज्ञों और उपभोक्ताओं का आरोप है कि यह मूल्यवृद्धि पूर्वनियोजित और संगठित तरीके से अंजाम दी गई, जिसमें तथाकथित ‘दूध माफिया’ सक्रिय हैं। इस पूरे प्रकरण में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रशासनिक अमला और जनप्रतिनिधि पूरी तरह से मौन बने रहे। जनहित से जुड़ा मामला, फिर भी चुप्पी क्यों?
दूध जैसी दैनिक आवश्यकता की वस्तु में मूल्यवृद्धि कोई साधारण मामला नहीं है। बावजूद इसके, न तो जिला प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही की, और न ही जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर आवाज़ उठाई। शुरुआत में कुछ सामाजिक संगठनों ने तत्कालीन कलेक्टर से मिलकर कार्यवाही की मांग की थी और विरोध भी जताया था, लेकिन परिणाम शून्य रहा।
पूर्व कलेक्टर द्वारा आश्वासन दिया गया था कि मामले की समीक्षा कर दाम नियंत्रित किए जाएंगे, मगर उनके कार्यकाल के दौरान स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। अब उम्मीदें नए कलेक्टर से
अब जबकि नवागत कलेक्टर ने जिले की कमान संभाली है, तो शहरवासियों की उम्मीदें फिर से जागी हैं। लोगों को उम्मीद है कि नए प्रशासनिक नेतृत्व में दूध माफिया की मनमानी पर लगाम कसी जाएगी और मूल्य नियंत्रण सुनिश्चित किया जाएगा।
त्योहारों में महंगा दूध, उपभोक्ता परेशान
रक्षाबंधन, नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहारों पर जब लोग दुग्ध उत्पादों का सबसे अधिक उपयोग करते हैं, तब महंगे दूध ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। अब दीपावली जैसे प्रमुख पर्व के समय भी हालात नहीं सुधरे हैं। ऐसे में यह सवाल फिर खड़ा होता है कि क्या कोई ठोस कार्रवाई होगी या जनता की उम्मीदें फिर अधूरी रह जाएंगी? सस्ता जीएसटी, महंगा दूध?
सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कमी कर आवश्यक वस्तुएँ सस्ती करने की बात की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर दूध जैसी मूलभूत वस्तु की महंगाई इस दावे पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही।







