छोटी सी भट्ठी के पीछे क्यों पड़ा है भारत.क्या ग्लोबल लीडर बनने की है चाहत, मोदी-ट्रंप की डील से समझिए मायने
छोटे परमाणु रिएक्टर भारत के भविष्य की रीढ़ मानेजा रहे हैं। खुद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में बजट में संकेत दिया था। अब इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मुहर लगा दी है। जानते हैं-

छोटी सी भट्ठी के पीछे क्यों पड़ा है भारत.क्या ग्लोबल लीडर बनने की है चाहत, मोदी-ट्रंप की डील से समझिए मायने
छोटे परमाणु रिएक्टर भारत के भविष्य की रीढ़ मानेजा रहे हैं। खुद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में बजट में संकेत दिया था। अब इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मुहर लगा दी है। जानते हैं-
नई दिल्ली: परमाणु रिएक्टर एक विशाल हाई तकनीक वाली चाय की केतली की तरह है। परमाणु संयंत्र पानी को गर्म करके भाप बनाने के लिए परमाणुओं को बांटते रहते हैं। भाप से बिजली पैदा करने के लिए टर्बाइन को घुमाया जाता है। भारत बढ़ती ऊर्जा डिमांड को पूरा करने और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है। सरकार ने 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8,180 मेगावॉट से बढ़ाकर 22,480 मेगावॉट करने के लिए कदम उठाए हैं। इस विस्तार में गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 8,000 मेगावॉट के दस रिएक्टरों का निर्माण और उसे चालू करना शामिल है। इसके अतिरिक्त 10 और रिएक्टरों के लिए पूर्व-परियोजना गतिविधियां शुरू हो गई हैं, जिन्हें 2031-32 तक पूरा करने की योजना है। इसके अलावा सरकार ने आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीकाकुलम जिले के कोव्वाडा में अमेरिका के सहयोग से 6 x1208 मेगावॉट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस और अमेरिका के दौरे पर परमाणु ऊर्जा को लेकर सहयोग पर बात की है। जानते हैं-
छोटी भट्ठी में ऐसा क्या, जिसके लिए जोर लगा रहा भारत
भारत को परमाणु ऊर्जा में अग्रणी बनने की ज़रूरत है क्योंकि यह एक विश्वसनीय और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत है। दरअसल, भारत में बिजली का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत परमाणु ऊर्जा है। यह देश के कुल बिजली उत्पादन में करीब 2-3% का योगदान देता है। एक तो यह यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करता है और दूसरा यह रेगुलर इलेक्ट्रिसिटी की आपूर्ति करता है। यह भूमि और प्राकृतिक संसाधनों जैसे पर्यावरणीय सोर्स पर सबसे कम असर डालती है। यही वजह है छोटे परमाणु रिएक्टरों को परमाणु भट्ठी भी कहा जाता है, जो रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं।
क्या होते हैं भारत स्मॉल रिएक्टर, जो ला सकते हैं क्रांति
भारत लघु रिएक्टर(BSR) मूल रूप से कॉम्पैक्ट परमाणु रिएक्टर हैं , जिन्हें पारंपरिक बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में छोटे पैमाने पर बिजली पैदा करने के लिए डिजाइन किया गया है। बीएसआर भारत की आजमाई हुई और परखी हुई 220 मेगावाट दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगे, जिनमें से 16 इकाइयां देश में पहले से ही चालू हैं। अब इसमें निजी क्षेत्र की भी भागीदारी होगी।
क्या होते हैं छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, यहां जानिए
Small Modular Reactor (SMR) को छोटे परमाणु रिएक्टर या परमाणु भट्ठी कहा जाता है। इनसे अधिकतम 300 मेगावाट बिजली पैदा होती है। वे हर दिन 72 लाख किलोवॉट बिजली पैदा कर सकते हैं। तुलनात्मक रूप से बड़े आकार के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का उत्पादन 1,000 मेगावॉट से अधिक होता है और वे हर दिन 2.4 करोड़ किलोवॉट बिजली पैदा कर सकते हैं। एसएमआर का आकार लगभग 20 मेगावॉट से लेकर 300 मेगावॉट तक हो सकता है। तकनीक के आधार पर हल्के पानी, तरल धातु या पिघले हुए नमक सहित कई संभावित शीतलकों का इसमें इस्तेमाल किया जाता है।