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चाइल्ड पोर्न देखना अपराध, SC में फैसला सुरक्षित:केरल HC बोला- अकेले देखना क्राइम नहीं; मद्रास HC ने कहा- फोन में रख सकते

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 अगस्त) को चाइल्ड पोर्नोग्रॉफी से जुड़े एक मामले में सुनवाई की। लाइव लॉ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें कहा गया था कि फोन में बच्चों से जुड़े पोर्न वीडियो को डाउनलोड करना अपराध नहीं होगा।

केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर कोई व्यक्ति निजी तौर पर अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर पर दूसरे को दिखा रहा है तो यह गैरकानूनी होगा।

दरअसल पहले केरल हाईकोर्ट और फिर उसी के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट में एक आरोपी के दोष मुक्त हो जाने पर एक NGO ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।.

केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने यह फैसला दिया था। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा था, पोर्नोग्रॉफी सदियों से प्रचलित है। आज डिजिटल युग में इस तक आसानी से पहुंच हो गई। बच्चों और बड़ों की उंगलियों पर ये मौजूद है।

सवाल यह है कि अगर कोई अपने निजी समय में दूसरों को दिखाए बगैर पोर्न देख रहा है तो यह अपराध है या नहीं? जहां तक कोर्ट की बात है, इसे अपराध की कैटेगरी में नहीं लाया जा सकता क्योंकि यह व्यक्ति की निजी पंसद हो सकती है। इसमें दखल उसकी निजता में घुसपैठ के बराबर होगा।

केरल हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को आधार बताते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को पॉक्सो एक्ट के एक आरोपी के खिलाफ केस को रद्द कर दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अपनी डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या डाउनलोड करना अपराध के दायरे में नहीं आता है।

कोर्ट ने 28 साल के एक व्यक्ति के खिलाफ चल रहे केस पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। उस व्यक्ति के खिलाफ चाइल्ड पोर्नोग्राफी के आरोप में POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) कानून और IT कानून के तहत केस दर्ज हुआ था। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था।

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