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मौत की अनसुलझी गुत्थियां जो खाकी के लिए बन गई चुनौती, कई घटनाएं बन रहीं नजीर

मौत की अनसुलझी गुत्थियां जो खाकी के लिए बन गई चुनौती, कई घटनाएं बन रहीं नजीर

जबलपुर यश भारत। अनसुलझी मौत की गुत्थियां पुलिस के लिए सिरदर्द बनती हैं। कई घटनाओं में पुलिस खुलासा नहीं कर पाती। कई में तो शव की शिनाख्त तक नहीं हो पाती। कागजों में जांच अधिकारी लगातार अंधेरे में तीर चलाते रहते हैं। दिन, महीने और साल बीतते जाते हैं।कई मामलों में न ही शव की शिनाख्त हो पा रही है, और न ही घटना के पीछे की वजह स्पष्ट हो पा रही है। खुलासा न कर पाना पुलिस की कार्यशैली को सवालों के घेरे में रखे हुए है। खुफिया तंत्र से लेकर तमाम प्रबंध पुलिस के काम नहीं आ पा रहे। मौत की गुत्थी न सुलझना अपराध मामलों के लिए पुलिसिंग व्यवस्था की बदहाल तस्वीर बयां करती है। जिले में कई घटनाएं सामने आ चुकी है। जिनमें पुलिस खाली हाथ है। खुलासा तो दूर की बात है।

केस 1-
सिविल लाइन किलर बायफ्रेंड-गर्लफ्रेंड अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर
सिविल लाईन थाना अंतर्गत रेलवे मिलेनियम कालोनी में दोहरे हत्याकांड हुआ जहां रहने वाले जबलपुर रेल मंडल के हेड क्लर्क राजकुमार विश्वकर्मा (52) और उनके बेटे तनिष्क (8) की हत्या की गई। पुलिस ने कालोनी में रहने वाले मुकुल सिंह को हत्या का मुख्य आरोपित बनाया है। वारदात के बाद आरोपित मृतक की नाबालिग बेटी को अपने साथ लेकर फरार हुआ है जिन्हें पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। हत्याकांड के बाद फरार आरोपित और मृतक की नाबालिग बेटी पुलिस को लगातार चकमा दे रहे हैं।

केस-2
पनागर में महिला की अंधी हत्या का नहीं हो सका खुलासा
सिविल लाइन के अलावा पनागर थाना क्षेत्र में एक महिला की हत्या कर दी गई थी। हत्या किसने और किन कारणों से की है इसका फिलहाल पता नहीं चल सका है पुलिस पतासाजी करने में अभी तक जुटी है। पनागर गुरूनाक वार्ड निवासी अलका केसरवानी 45 वर्ष की हत्या कर दी गई महिला की लाश खून से लथपथ मिली। बताया जाता है कि महिला के पति की 6 साल पहले मौत हो चुकी है मृतिका घर में अकेली रहती थी।

केस -3
तिलवारा में ठेकेदार की हत्या को बता दिया हादसा
शहर के एक ठेकेदार की रहस्यमय हालात में हुई मौत के मामले में स्वजन ने निष्पक्ष जांच पर बल दिया था। मौत को लेकर सवाल खड़ा करते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर जनसुनवाई में अपनी बात रखी थी। जिसके बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा मामले की जांच नये सिरे से शुरू करने डीएसपी को आदेश कर दिए थे। परंतु अक्टूबर के बाद भी दोषियों की पतासाजी कर गिरफ्तार आज तक नहीं हो पाई।
उपनगरीय क्षेत्र गढ़ा अंतर्गत गंगानगर निवासी विवेक शर्मा (40) ईंट गिट्टी की ठेकेदारी करता था। 27 अक्टूबर शुक्रवार की रात वह तिलवारा के धनमहल रिसोर्ट में आयोजित जन्मदिन पार्टी मे शामिल होने गया था। काफी देर तक जब विवेक घर नहीं लौटा, तो स्वजन ने उसे फोन लगाया, लेकिन उसका फोन बंद मिला। तब स्वजन ने उसकी तलाश शुरू की। स्वजन धन महल रिसोर्ट के पास पहुंचे, तो रिसोर्ट के बाजू की पगडंडी के पास विवेक घायल अवस्था में मिला। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया। पार्टी की रात विवेक से मिलने रायपुर निवासी दो युवक शहर आए थे। उक्त दोनों युवक भी रिसोर्ट में आयोजित पार्टी में शामिल हुए, लेकिन जब विवेक के स्वजन ने युवको को फोन लगाकर विवेक के बारे में पूछा, तो दोनों ने अनभिज्ञता जाहिर कर दी। परिजनों ने भी इस मौत का जिम्मेदार मृतक के दोस्तों को बताया था।पर तत्तकालीन जांच अधिकारियों ने मामले में लीपापोती कर दी।

केस -4
खटुआ की फाइल हो गई बंद
गन कैरिज फैक्ट्री में हुए भ्रष्टाचार और फिर एक अफसर की मौत की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ पायी है.सबसे ताकतवर तोप का तमगा रखने वाली धनुष में चीनी कलपुर्जों की आपूर्ति और उससे जुड़े अधिकारी एससी खाटुआ की हत्या का मामला मानो किसी फाइल में बंद सा हो गया है. 2019 में हुई इस हत्या का राज़ आज भी राज़ ही है.मामले की जांच कर रही पुलिस के हाथ अब तक आरोपियों के गिरेबां तक नहीं पहुंच पाए हैं. यहां तक कि 5 बड़ी जांच एजेंसी इस मामले की पड़ताल में जुटी हैं.

सात महीने बाद भी नहीं मिली लाश
नागपुर की बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे की पदाधिकारी सना खान हत्याकांड में पूरा 7महीना बीत चुका है लेकिन अब तक सना की लाश पुलिस के हाथ नहीं लग सकी है. मामले में पुलिस ने अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं सना की लाश का पता बताने वाले को 1 लाख रुपए इनाम देने का भी का ऐलान हुआ फिर भी सफलता नहीं मिल सकी है. पुलिस ने अदालत में आरोपी अमित साहू के नार्को टेस्ट की मांग की लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया. ऐसे में सना की लाश के ना मिलने पर इस केस का क्या होगा? यह सवाल सबके मन में उठ रहा है। सना खान हत्याकांड को लेकर जबलपुर पुलिस को लेकर नागपुर पुलिस ने मामले में सहयोग न करने के आरोप भी लगाए थे।

ऐसे अनेक अपराधिक घटनाओं में पुलिस खुलासा करना तो दूर की बात अपराधियों तक को पकड़ने में नाकाम साबित रही है। ऐसे में लोगों का पुलिस से भरोसा उठता जा रहा है।अनेक मामलों में पुलिस केवल लकीर ही पीट रही है, जबकि अपराधी घटनाओं को अंजाम देने के बाद मौज काट रहे हैं। ऐसे हालात में पुलिस पर घटनाओं के खुलासे और अपराधियों को पकड़ने का दबाव बना हुआ है।

 

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