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सावन का तीसरा सोमवार आज, शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं ये 6 चीजें, वरना महादेव हो जाएंगे नाराज

आज यानी 5 अगस्त 2024 को तीसरा सोमवार व्रत रखा जा रहा है। शिव की पूजा-आराधना और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम समय माना गया है। इस पवित्र माह शिवजी की पूजा करने से भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की मनचाही मुराद पूरी करते हैं। शिव पूजा के दौरान कच्चा दूध, गंगाजल, गन्ने का रस, बेलपत्र, शहद,आक के फूल, भांग, धतूरा समेत कई चीजों को शिवलिंग पर अर्पित करना बेहद शुभ फलदायी माना गया है। हालांकि, शिव आराधना के दौरान शिवलिंग पर कुछ चीजों को बिल्कुल अर्पित नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इससे शिवजी रुष्ट हो सकते हैं। शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर तुलसी, हल्दी समेत कुछ चीजों को अर्पित करने की मनाही होती है। आइए जानते हैं कि शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये चीजें

तुलसी की पत्ती :सनातन धर्म में पूजा-अनुष्ठान के दौरान तुलसी की पत्ती का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है, लेकिन भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधरका का वध किया था। इसलिए शिवलिंग पर तुलसी की पत्ती नहीं अर्पित किया जाता है।

केतकी का फूल :पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था, जिससे क्रोधित होकर भोलेनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया था कि शिवलिंग पर कभी भी केतकी का फूल अर्पित नहीं किया जाएगा। इसलिए शिवलिंग पर केतकी का फूल चढ़ाने की मनाही होती है।

हल्दी :शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित वस्तु है। इसलिए शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाया जाता है।

सिंदूर : सुहागिन महिलाओं की सुहाग का प्रतीक सिंदूर भी भगवान शिव को अर्पित करना अशुभ माना गया है। महादेव को भस्म पसंद है और वह सौंदर्य को बिल्कुल भी नहीं पसंद करते हैं। श्रृंगार की सामग्री में शिवजी पर केवल इत्र चढ़ाया जाता है।

काला तिल : शिवजी का जलाभिषेक करते समय कच्चे दूध या जल में तिल मिलाकर अर्पित नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि तिल विष्णुजी के मेल से उत्तपन्न हुआ था। इशलिए शिवलिंग पर काला तिल नहीं चढ़ाया जाता है।

शंख से जल : विष्णुजी का कबी शंख से अभिषेक नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ ने शंखचूड़ नामक का राक्षस का वध किया था। यह राक्षस शंख से उत्पन्न हुआ था। इसलिए शिवलिंग पर शंख से जलाभिषेक नहीं किया जाता है।

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