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सत्ता और संगठन में अंदरखाने की जंग : सतह पर सन्नाटा, भीतर घमासान

The battle of darkness between power and organization: Silence on the surface, turmoil within.

सत्ता और संगठन में अंदरखाने की जंग : सतह पर सन्नाटा, भीतर घमासान

 

भोपाल। यशभारत मध्यप्रदेश की राजनीति इन दिनों शांत सतह के भीतर भारी उतार-चढ़ाव से गुजर रही है। सत्ता और संगठन दोनों के गलियारों में ऐसी हलचल है, जिसकी आहट तो दिख रही है, लेकिन गहराई परतदार पर्दे के पीछे ढकी जा रही है। बड़े फैसले में जुड़ी भोपाल मंत्रालय में धुंआ हुआ है, लेकिन दांव-पेंच की असली चालें महाकाल की धरती और स्कॉर्पियो कार निकलवाने वाले मंझे हुए खिलाड़ी चला रहे हैं। देर रात तक मंत्रालय और होटल के बीच बैठकों के खुलते संकेत मिल रहे हैं।

 

मुख्य सचिव का कार्यकाल खत्म होने से पहले संगठन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि संगठन के भीतर भी खूब घमासान मचा हुआ है। भले ही संगठन के मंच पर सब कुछ सामान्य चल रहा हो, लेकिन अंदरखाने की राजनीति अलग चल रही है। सरकार के मंत्री अपने-अपने हिसाब से समीकरण बना रहे हैं और संगठन की लाइन को भी साथ-साथ साधने की कोशिश कर रहे हैं। इस विवाद को हवा दी हालिया घटनाक्रम ने, जिसमें संगठन से जुड़े कई बड़े नेता अलग-अलग होटल में बैठकर समीकरण साधते देखे गए।

 

सत्ता से जुड़े संगठनों की देर रात बैठकों के मायने क्या

पांच सितारा होटल में घंटों चली गुपचुप बैठक

 

सत्ता से जुड़े एक बड़े संगठन ने हाल ही में पांच सितारा होटल में अपनी बैठक की। बैठक देर रात तक चली और इस बैठक में संगठन के कई वरिष्ठ और प्रभावशाली पदाधिकारी शामिल हुए। सूत्र बताते हैं कि बैठक में सत्ता और संगठन के बीच तालमेल और आगामी चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करने पर चर्चा हुई। हालांकि, बाहर निकलकर किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन बंद कमरे की इस बैठक ने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया।

 

अगर अंदरखाने चल रही हलचल को समझें, तो कुछ रणनीतिक मुद्दे ऐसे रचे जा रहे हैं, जो सतह पर नहीं दिख रहे। इन बैठकों में किसकी भूमिका कितनी अहम है और किसे दरकिनार किया जा रहा है, यह बड़ा सवाल बनकर खड़ा है। सत्ता और संगठन की फाइलों में बैठे बड़े नाम अब रणनीति की कुर्सी साधने में लगे हुए हैं।

 

गतांक में प्रकाशित समाचार

राजनीति के गलियारों में इन दिनों खामोशी की चादर बिछी हुई है। लेकिन इसी चादर के नीचे घमासान की आंच तेज है। सत्ता और संगठन के बीच खिंचतान साफ दिखाई दे रही है। देर रात की बैठकें और होटल डिप्लोमेसी आने वाले दिनों की सियासत का संकेत और भी गहरा करती हैं।

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