फ्लोराइड युक्त पानी से पीले हो रहे दांत, कमजोर हो रही हड्डियां
जबलपुर, यश भारत। महाकोशल के कई जिलों में फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोगों के दांत, हड्डियां कमजोर हो रही हैं। जोड़ों का दर्द हो रहा है। जबलपुर के कई इलाकों में तो भूगर्भीय जल में फ्लोराइड की मात्रा डब्लूएचओ के तय मानकों से कई गुना ज्यादा है। यह बच्चों से लेकर बड़ों में बीमारियों का कारण बन रहा है।
बच्चों पर हुई स्टडी
बरगी डैम मार्ग के बारहा गांव के शासकीय स्कूल के सौ से ज्यादा बच्चों पर की गई स्टडी के अनुसार चालीस बच्चों में फ्लोरोसिस की गम्भीर बीमारी मिली। बताया जाता है कि 65 बच्चों में फ्लोरोसिस माइल्ड व 15 बच्चों में फ्लोरोसिस मॉडरेट श्रेणी में पाया गया। इनमें से बच्चे के दांत पीले पड़ गए हैं। किसी के दांतों में कैविटी जम गई है। हद तो ये कि इस स्थल से तीन किमी दूर बरगी डैम की नहर है। लेकिन, बच्चे भूगर्भीय फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। जबलपुर समेत महाकोशल के मंडला, डिंडौरी, सिवनी, अमरकंटक क्षेत्र में भूगर्भीय जल में फ्लोराइड खतरनाक स्तर पर है। खास बात यह है कि फ्लड फिल्टर सिस्टम बहुत ही कॉस्टली है। जिसके चलते यदि आसपास जागरूकता की जाए और रेट वाटर हार्वेस्टिंग को अपनाया जाए तो इस समस्या से निजात मिल सकती है।
भूजल विदों के अनुसार फ्लोराइडयुक्त चट्टानों में ड्रिलिंग होने पर ट्यूबवेल में फ्लोराइड का घुलना जारी रहता है। इस पानी को पीने वालों में फ्लोराइड की समस्या बनी हुई है। जबलपुर के मेडिकल, देवताल, भूकम्प कॉलोनी, शास्त्री नगर समेत कई और इलाकों में भूगर्भीय जल में फ्लोराइड की मात्रा 4 मिग्रा प्रति लीटर से ज्यादा है। जबकि, डब्लूएचओ के अनुसार पीने योग्य पानी में फ्लोराइड की निर्धारित स्वीकारोक्त सीमा 0.5 मिग्रा प्रति लीटर है।
भूजलविदों ने स्टडी में पाया कि महाकोशल के मंडला, डिंडोरी, सिवनी क्षेत्र में पहले पीने के पानी के लिए हर पंद्रह से बीस घर पर इसीलिए लोगों ने कुआं की व्यवस्था कर रखी थी। क्योंकि, भूगर्भीय जल में फ्लोराइड था। इसलिए उन्हें पीने के लिए सतही जल उपलब्ध हो सके। जबलपुर में फ्लोराइड की समस्या को देखते बड़ी संख्या में तालाबों की व्यवस्था की गई थी। उनका पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता था।
जबलपुर के भूजलविदों ने फ्लोराइड युक्त पानी के शुद्धिकरण के लिए युक्ति तैयार की थी। इसके अनुसार फ्लोराइड युक्त पानी को चारकोल, सेंड से होकर प्रवाहित किया जाता है, फिर एलम से शुद्धिकरण किया जाता है। इसके साथ ही विशेषज्ञों के अनुसार फ्लोराइड से बचाव के लिए प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को अपने आहार में कैिल्श्यम युक्त भोजन शामिल करना चाहिए। इसमें दूध, केला, आंवला, हरी सब्जियां शामिल हैं।
दांत पीले होने लगते है, फिर काले होकर कमजोर हो जाते हैं।
दांतों में कैविटी जमना
दांत व हड्डी कमजोर हो जाना
हाथ-पैर में दर्द
जोड़ों से सम्बंधित समस्या
जबलपुर में भूगर्भीय जल में फ्लोराइड की िस्थति
150 फीट के नीचे के पानी में
5.62 मिग्रा प्रति लीटर शास्त्री नगर क्षेत्र में
4.2 मिग्रा प्रति लीटर भूकंप कॉलोनी क्षेत्र में
महाकोशल में फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र
जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, सिवनी, अमरकंटक क्षेत्र
1735 गांव फ्लोराइड प्रभावित
पाया गया कि महाकोशल के जबलपुर, मंडला, डिडोरी, सिवनी, अमरकंटक क्षेत्र में भूगर्भीय जल में फ्लोराइडयुक्त पानी तय सीमा से ज्यादा है। इसके कारण इस पानी को पीकर लोगों को दांत व हड्डियों से संबंधित गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा है। इन इलाकों में डेढ सौ फीट से ज्यादा गहराई में भूगर्भीय जल में फ्लोराइड पाया गया है। इससे बचाव के लिए लोग सतही जल का इस्तेमाल करने बड़ी संख्या में गांव में कुएं के पानी पीते हैं। जबलपुर के अधारताल मेडिकल मदन महल के कुछ क्षेत्रों सहित बरेला , बारहा और आसपास के क्षेत्र में भी फ्लोराइड की स्थिति चिंताजनक है। यदि लोग रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अपना लें, तो स्थिति में सुधार हो सकता है।
मनीष खरे, भूजल विद्