रिश्वत लेना अब शगुन और दस्तूर जैसा बन गया है, आए दिन सामने आ रहे रिश्वतखोरी के मामले

जबलपुर यश भारत। जिस तरह से समाज में धार्मिक सामाजिक कार्यों में शगुन देने का दस्तूर है ऐसे ही हालत इन दिनों सरकारी दफ्तरों की हो गई है किसी भी काम के लिए आप किसी भी कार्यालय में क्यों न जाएं लेकिन काम के बदले रिश्वत देने का दस्तूर आपको निभाना ही पड़ेगा। यह बात हाल के दिनों में रिश्वतखोरो के खिलाफ की गई कार्यवाही से भी सामने आ रही है। रिश्वत लेने की मामले में अब महिला अधिकारी भी पीछे नहीं है। जबलपुर लोकायुक्त के द्वारा हाल में की गई कार्यवाहियों पर नजर डाली जाए तो लोकायुक्त टीम ने हाल ही में पड़ोसी जिला कटनी की शासकीय आईटीआई कार्यालय में दबिश देते हुए 5000 की रिश्वत लेते हुए बाबू को दबोचा था। यह रिश्वत 10 वर्ष की वेतन वृद्धि की एरियर राशि के भुगतान के बिल तैयार करने एवं भुगतान करवाने के ऐवज में ली जा रही थी। इसकी शिकायत रांझी बड़ा पत्थर निवासी आनंद चौधरी ने लोकायुक्त को की थी जो कटनी आईटीआई में बतौर प्रशिक्षण अधिकारी कार्यरत है और उसी की शिकायत पर लोकायुक्त ने सहायक ग्रेड संदीप कुमार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोचा। इसी तरह की एक अन्य कार्यवाही में जबलपुर की लोकायुक्त टीम ने सिवनी के कालीरात में रहने वाले शिकायतकर्ता संत कुमार की शिकायत पर सिवनी में पदस्थ जूनियर सप्लाई अधिकारी ज्योति पटले वा उनके ड्राइवर कैलाश को ₹40000 की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। यह मामले तो जबलपुर लोकायुक्त की टीम के द्वारा शिकायतों के आधार पर कार्यवाही कर अंजाम दिए गए। इसके अलावा प्रदेश के दूसरी हिस्सों से भी इस तरह की कार्यवाहियां सामने आई है दमोह में लोकायुक्त ने एस पी के स्टेनो को 25000 की रिश्वत लेते पकड़ा तो सागर में नामांतरण और अवैध कब्जा हटाने के नाम पर 50000 की रिश्वत मांगने वाले एसडीएम कार्यालय मालथौन के सहायक रीडर वेद नारायण यादव को रंगे हाथों दबौचा। हरदा आरटीओ का कार्यालय अधीक्षक 20000 की रिश्वत लेते हुए धराया। यह कार्यवाही एक बस ऑपरेटर की शिकायत पर ईओडब्ल्यू के द्वारा अंजाम दी गई। इसी तरह का एक और मामला प्रदेश के बुरहानपुर में सामने आया है जब 3 साल पहले जिला अस्पताल में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार और निलंबित बाबू अशोक पठारे ने अस्पताल के लेखापाल राधेश्याम चौहान के खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत की थी कि राधेश्याम ने अशोक ऐसार्ट के इलाज के मेडिकल बिल के 2 लाख रुपए में से बाकी राशि जारी करने के लिए ₹20000 की रिश्वत मांगी थी और 15000 में सौदा तय हुआ था जिसमें से ₹5000 पहले ले चुका था और जब बाकी राशि ले रहा था तभी लोकायुक्त ने उसे दबोच लिया। हाल ही में एक अन्य मामले में एक स्कूल की महिला प्राचार्य को भी रिश्वत लेते हुए पकड़ने का मामला सामने आया था। एक के बाद एक हुई इन कार्यवाहियों से एक बात को स्पष्ट हो गई है कि शासकीय विभाग कोई भी हो यदि आपको काम कराना है तो रिश्वत रूपी शगुन का दस्तूर निभाना ही पड़ेगा।