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अमृता कृषि विद्यालय के छात्रों ने मधुमक्खी पालन के बारे में किसानों को किया जागरुक

कोयंबटूर। मधुमक्खियां किसानों की सच्ची दोस्त होती हैं। जो कि उनकी फसलों में फूलों के परागण में मददगार होती हैं। कहा जाता है कि अगर दुनिया में मधुमक्खियां नहीं बचेंगी तो इंसान बमुश्किल 4 साल ही धरती पर सर्वाइव कर पाएगा। यह किसी और ने नहीं बल्कि महान विज्ञानी आइंस्टाइन ने कहा था। ऐसे में किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए अमृता कृषि विद्यालय के स्टूडेंट्स ने किसानों को उनके ही खेतों पर मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारियां दीं।

छात्रों ने किसानों को बताया कि कई तरह के मधुमक्खियां इस दुनिया में उपलब्ध है। शहद की मक्खियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं जिनमें इटालियन मधुमक्खी सबसे अधिक पाली जाती है इटालियन मधुमक्खियाँ भारतीय मधुमक्खियों की तुलना में बड़ी होती हैं और अधिक शहद पैदा करती हैं । मधुमक्खी पालन से किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं, साथ ही कृषि आय भी बढ़ा सकते हैं क्योंकि मधुमक्खियाँ बेहतर परागण के माध्यम से फसल उत्पादन में वृद्धि करेंगी

मधुमक्खी पालन के लिए हम मधुमक्खी बॉक्स प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें ब्रूड चैंबर और सुपर चैंबर शामिल हैं ब्रूड चैंबर मधुमक्खी के छत्ते का वह हिस्सा है जहां रानी मधुमक्खी अपने अंडे देती है और युवा मधुमक्खियों (ब्रूड) को पाला जाता है। सुपर चैंबर श्रमिक मधुमक्खियों द्वारा कोशिकाओं में अधिशेष शहद और पराग के भंडारण के लिए है, न कि रानी द्वारा अंडे देने के लिए। ताकि रानी मधुमक्खी अंडे देने के लिए सुपर चैंबर में प्रवेश न कर सके, इसके लिए ब्रूड और सुपर चैंबर के बीच एक जाली लगाई जाती है, जिसे क्वीन एक्सक्लूडर कहा जाता है।अंडे देने के लिए रानी मधुमक्खी के सुपर चैंबर में प्रवेश से बचने के लिए ब्रूड और सुपर चैंबर के बीच क्वीन एक्सक्लूडर नामक एक जाली लगाई जाती है।
मधुमक्खी बक्से के सभी भागों के बारे में समझाया
छात्रों ने यह भी बताया कि वे चीनी सिरप की मदद से ऑफ-सीजन के दौरान मधुमक्खी के छत्ते को कैसे बनाए रख सकते हैं अमृता कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. सुधीश मनालील ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया.

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