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खर्राटे और मोबाइल से पड़ रही रिश्तों में दरार

खर्राटे और मोबाइल से पड़ रही रिश्तों में दरार

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खर्राटे और मोबाइल से पड़ रही रिश्तों में दरार

जबलपुर, यशभारत। खर्राटे और मोबाइल फोन का ज़्यादा इस्तेमाल दोनों ही रिश्तों में दरार पैदा कर सकते हैं। खर्राटे नींद में खलल डालते हैं, जिससे साथी को थकान, चिड़चिड़ापन और नाराजगी हो सकती है। मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग समय, ध्यान और संचार को प्रभावित कर सकता है, जिससे रिश्तों में दूरी आ सकती है. नींद में खलल रिश्तों में दरारें पैदा कर रहा है। जन्मों का साथ निभाने की कसमें खाने वाले दंपती तक एक दूसरे की कुछ आदतों से परेशान होकर अलग-अलग कमरे में सोने को मजबूर हैं। कोई पार्टनर की देर रात तक मोबाइल देखने की आदत से परेशान है तो किसी मामले में साथी के खर्राटे नींदें उड़ा रहे हैं। ऐसे केस मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंच रहे हैं। जिनमें दपत्ति की काउंसलिंग के साथ उनका संभावित उपचार भी किया जा रहा है।
पति ने पत्नी को सुनाई रिकॉर्डिंग
सिविल लाइन निवासी एक पति की पत्नी की शिकायत है कि वे उसके तेज खर्राटे की आवाज के कारण सो नहीं पाते। पत्नी मानती ही नहीं थी कि उसके खर्राटे बजते हैं। आखिरकार बेटे के साथ मिलकर पति ने पत्नी के खर्राटों की कई दिन तक रिकॉर्डिंग कर सुनाई।
एक-दूसरे खर्राटे का आरोप
पोलीपाथर के रहने वाले एक दपत्ति में से दोनों एक-दूसरे पर रात में तेज खर्राटे का आरोप लगाते हैं। उनका कहना है कि इसी बात पर अक्सर दोनों की लड़ाई भी हो जाती है। ऐसे में दोनों ने अलग कमरे में सोना तय किया।
अचानक खुल जाती है नींद
तिलहरी की रहने वाली एक महिला का कहना है कि नींद के दौरान उनके पति की तेज खर्राटे की आवाज आती है। इसके कारण उसकी नींद खुल जाती है। फिर वह रातभर नहीं सो पाती, इसके कारण उसे दूसरे कमरे में सोना पड़ता है।
रील देखने की आदत सोने नहीं देती
शक्ति नगर निवासी एक युवक की शिकायत है कि उसकी पत्नी को रील्स देखने की ऐसी आदत है कि वह देर रात तक रील्स देखती रही है, इसके कारण नींद पूरी नहीं हो पाती। समझाने पर वह नहीं मानती, इसके कारण उन्हें अब अलग कमरे में सोना पड़ता है।

ऐसे केसेस जिनमें दपत्ति के बीच मोबाइल स्क्रीन की लत या फिर दोनों में से किसी एक को खर्राटे की समस्या होने के कारण तनाव और फिर अलग कमरों में सोने के हालात बन रहे हैं उनकी काउंसलिंग करते हैं, ताकि आपसी सामंजस्य बनाकर रहें। खर्राटे के मामलों में आवश्यक होने पर उपचार भी दिया जाता है। वहीं स्क्रीन की लत के मामले में उन्हें बेडरूम में स्लीपिंग हाइजिन का पालन करने कहा जाता है।
डॉ.ओपी रायचंदानी, मनोचिकित्सक, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल

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