आग से जले मरीजों में हो सकेगा स्किन का प्रत्यारोपण
मेडिकल अस्पताल में स्किन बैंक शुरू स्किन डोनेशन से होगा संभव, मृतक की स्किन को परिजन कर सकते हैं डोनेट
जबलपुर, यशभारत। किसी दुर्घटना में या आग से जलने पर यदि स्किन डेमेज हो जाती है तो उसकी जगह नई स्किन का प्रत्यारोपण नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल जबलपुर में अब संभव होने जा रहा है। जिस तरह से कॉर्निया, किडनी, लीवर, हार्ट को व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके डोनेट किया जा सकता है उसी तरह स्किन को भी डोनेट किया जा सकता है।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में इसके लिए स्किन बैंक तैयार किया गया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेजों में यह पहला स्किन बैंक है, जहाँ मृत्यु के उपरांत मृतक की डोनेट की गई स्किन को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
किसे मिलेगा फायदा,,,
स्किन बैंक का फायदा सबसे ज्यादा उन मरीजों को मिलेगा जो गंभीर रूप से जल जाते हैं, उनके लिए यह जीवन रक्षक की तरह है।
ये है डोनेट की प्रक्रिया,,,
कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए स्किन डोनेशन का संकल्प ले सकता है उसका फार्म भरकर जमा कर सकता है। उसकी मृत्यु के बाद परिवार वाले उसकी स्किन डोनेट कर सकते हैं अथवा किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिवार वालों की इच्छा के अनुरूप स्किन डोनेट की जा सकती है।
स्किन बैंक बनाने खर्च,,,
जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में स्किन बैंक बनाने में करीब 10 लाख रुपयों का खर्च आया है। बैंक में अत्याधुनिक मशीनों के साथ स्किन को सुरक्षित रखने के लिए विशेष तरह के फ्रीजर हैं। बीते हफ्ते ही निरीक्षण के बाद स्किन बैंक को अप्रूवल मिल गया है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में हर साल अग्नि हादसों के शिकार 300 से 350 मरीज पहुँचते हैं।
पैर या पीठ की स्किन निकालते हैं,,,
प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. पवन अग्रवाल ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद स्किन प्रिजर्व की जा सकती है। पैर और पीठ के हिस्से से ही स्किन को निकाला जाता है। नैचुरल डेथ के केस में यह प्रक्रिया घर जाकर भी की जा सकती है। इसके लिए टीम भी तैयार की गई है। मृत्यु होने के बाद 12 घंटे तक और फ्रीजर में रखे जाने पर 24 घंटे के अंदर स्किन प्रिजर्व की जा सकती है। स्किन बैंक में इसे 5 वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस बैंक के लिए संभाग कमिश्नर अभय वर्मा व डीन डॉ. गीता गुईन का सहयोग मिला।