
कानपुर के बिकरु कांड के बाद विकास दुबे से जुड़े एक मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सामने आया है. गुरुवार को बिकरू कांड से जुड़े एक मामले में विकास दुबे के भतीजे विपुल दुबे को एडीजे कोर्ट ने दोषमुक्त करार दे दिया.
विपुल पर आरोप था कि उसने तत्कालीन सजेती थानाध्यक्ष पर अवैध तमंचा से कई राउंड फायरिंग करके जानलेवा हमला किया लेकिन पुलिस ने जांच में घोर लापरवाही बरती. यहां तक कि तमंचे को परीक्षण के लिए टेक्निकल लैब भी नहीं भेजा गया जिससे ये प्रमाणित हो सकता था कि असलहा फायरिंग की स्थिति में है और उससे गोली फायर हुई थी.
वहीं दस्तावेजों में पुलिस ने ओवरराइटिंग और कटिंग करके संदेह उत्पन्न कर दिया. अभियोजन दोष साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका. इसके बाद कोर्ट ने विपुल को जानलेवा हमले और शस्त्र अधिनियम दोनों आरोपों में दोषमुक्त कर दिया.
बिकरू गांव में रहने वाले विपुल दुबे की आईटीबीपी में नौकरी लग गई थी उसे ज्वाइनिंग के लिए जाना था तभी बिकरू गांव में घटना हो गई और पुलिस ने उसके पिता अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था जबकि विपुल को बिकरू कांड का आरोपी बनाया गया था. फिलहाल वह अभी बिकरू कांड के आरोप में जेल में है.
बचाव पक्ष के वकील पवनेश शुक्ला ने बताया की तत्कालीन सजेती थानाध्यक्ष रावेंद्र कुमार मिश्रा ने विपुल दुबे के खिलाफ 7 जनवरी 2021 को 307, 3/25 का दर्ज करवाया था. मामले की सुनवाई कानपुर देहात माती कोर्ट में एडीजे 5 के कोर्ट में चल रही थी.
पुलिस ने 27 फरवरी 2021 को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी. मामले में 6 सितंबर 2022 से साक्ष्य पेश किए गए. कोर्ट ने माना की पुलिस ने जो आरोप 307 और 3/25 का मामला दर्ज किया है उसके पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं है और न वो कोर्ट में पेश कर पाई है.
इसलिए विपुल दुबे को कोर्ट ने 307 में दोषमुक्त कर दिया है. हालाकि अभी भी वो बिकरूकांड में आरोपी है जिसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है. बता दें कि दो जुलाई 2020 में कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में पुलिस टीम पर फायरिंग की गई थी जिसमें सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे.