भोपाल, (ईएमएस)। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अब से दो महीने पहले जब मध्यप्रदेश भाजपा को टेकओवर किया था, तो लग रहा था कि भाजपा सत्ता और संगठन से नाराज़ चल रहे पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं को मना लिया जाएगा और सब कुछ ठीक जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और भाजपा की अंदरूनी स्थितियां और बिगड़ गई। विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के दौरान नाराज़ नेताओं ने जिस तरह से कलह मचाई और बागी तेवर दिखाते हुए थोक में नामांकन दाखिल किए उसने भाजपा हाईकमान की नींद उड़ा दी। डैमेज कंट्रोल के लिए आए केंद्रीय मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव सहित तमाम केंद्रीय नेता और पदाधिकारी पार्टी के नाराज़ एवं बागी नेताओं को मनाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार मालवा-निमाड़, विंध्य, महाकौशल, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का ऐसा कोई जिला नहीं है, जहां पार्टी के नाराज़ों और बागी नेताओं ने भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों के सामने बतौर आप, बसपा और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल न ठोक रखी हो। कुछ सीट पर तो हालात इतने बिगड़े हुए हैं कि बागी नेता अब केंद्रीय मंत्री अमित शाह, भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर, शिवराजसिंह चौहान और वीडी शर्मा, जैसे दिग्गजों से बात करने को भी तैयार नहीं हैं। महाकौशल और बुंदेलखंड में तो टिकट वितरण से नाराज कई नेताओं ने पार्टी द्वारा सौंपे गए दायित्वों से इस्तीफा दे दिया है। चुनाव प्रचार से खुद को अलग कर घर बैठ गए हैं।
मालवा-निमाड़ की कई सीटों पर बागी नेताओं के कारण भाजपा की भारी फजीहत हो रही है। बागियों के तेवर इतने तीखे हैं कि, उन्हें समझाने में पार्टी के दिग्गजों को पसीना आ रहा है। हालांकि,मनाने-समझाने की कवायद में लगे नेताओं का मानना है कि उम्मीदवारों की नाम वापसी की आखिरी तारीख आते-आते सब कुछ ठीक हो जाएगा।
-नेता इसलिए भी नाराज़
भाजपा सूत्रों के अनुसार सत्ता-संगठन से नाराज़ चल रहे पार्टी के कई नेता इसलिए भी खफा बने हुए हैं कि, उन्हें उम्मीद थी शाह के मध्यप्रदेश में मोर्चा संभालने के बाद पार्टी उनकी बात सुनेगी। सत्ता-संगठन के रवैए में बदलाव आएगा। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। उल्टे दूसरे दलों से नेताओं को उन पर थोप दिया गया। अब कहा जा रहा है कि अनुशासन सर्वोपरि है, भाजपा और पार्टी अधिकृत उम्मीदवारों को जिताने में जुट जाओ।
-बाहरी नेता क्या कर लेंगे?
भाजपा के कार्यकर्ताओं में इस बात से भी सख्त नाराजगी है कि मध्य प्रदेश के जिन नेताओं को कार्यकर्ताओं ओर बागियों से बात करनी चाहिए थी, उनके स्थान पर केंद्र से आए बड़े-बड़े नेता बात कर रहे हैं। वैसे ही आश्वासन दे रहे हैं, जैसे जनता को देते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद वह तो यहां से चले जाएंगे, फिर वह अपनी बात किससे करेंगे।अत: केंद्रीय नेताओं द्वारा जो मन मनोव्वल की जा रही है, उसका कोई असर बागियों पर पड़ता हुआ दिख नहीं रहा है।
मप्र विधानसभा चुनाव में सौ बागियों ने भी ठोकी ताल
भोपाल, (ईएमएस)। मध्यप्रदेश में 17नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए 30 अक्टूबर तक 3,832 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं। इनमें सबसे अधिक 41 उम्मीदवार भिंड जिले की अटेर सीट पर हैं। इसी तरह धार की गंधवानी सीट पर सिर्फ छह प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के 100 से अधिक बागियों ने भी चुनाव मैदान में दावा ठोंका है। दोनों पार्टियां अपने-अपने बागियों को पीछे हटने के लिए मान-मनौव्वल शुरू करेंगी। नाम वापसी की अंतिम तारीख दो नवंबर है। उसके बाद अंतिम स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा दी जानकारी के अनुसार 30 अक्टूबर को नामांकन के अंतिम दिन 2,489 अभ्यर्थियों ने 2,811 आवेदन प्रस्तुत किए। इसे मिलाकर अब तक कुल 3,832 अभ्यर्थियों ने 4,359 नामांकन पत्र दाखिल किए हैं। निर्वाचन अधिकारी अब इन नामांकनों की जांच करेंगे। इसमें दस्तावेजों का मिलान किया जाएगा। यदि कोई गड़बड़ी मिलती है तो नामांकन निरस्त हो जाएगा। इस वजह से कई उम्मीदवारों ने एक से ज्यादा नामांकन फार्म जमा किए हैं। नामांकन फॉर्म की जांच के बाद उम्मीदवारों के पास नाम वापसी का विकल्प भी होगा। जानकारी अनुसार भिंड जिले की अटेर सीट पर सबसे अधिक 41 उम्मीदवारों ने नामांकन फॉर्म दाखिल किए हैं। सबसे कम छह नामांकन धार जिले की गंधवानी सीट पर भरे गए हैं। इसके अलावा भिंड सीट पर 35, गुना (अजा) सीट पर 32, सतना सीट पर 36 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं। रतलाम ग्रामीण (अजजा), इंदौर-2 और खरगोन जिले की भीकनगांव (अजजा) सीट पर नौ, धार जिले की धरमपुरी (अजजा) और कुक्षी (अजजा), तथा मंडला की बिछिया (अजजा) सीटों पर 7-7-उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।