कृषि फीडरों पर 10 घंटे से अधिक बिजली सप्लाई पर कटेगा अफसरों का वेतन

कृषि फीडरों पर 10 घंटे से अधिक बिजली सप्लाई पर कटेगा अफसरों का वेतन
– महाप्रबंधक तक पर होगी कार्रवाई, आदेश ने मचाया कंपनी हडक़ंप
भोपाल यशभारत। राज्य शासन ने कृषि फीडरों पर निर्धारित समय सीमा से अधिक बिजली आपूर्ति होने पर सख्ती बरतते हुए आर्थिक दंड की व्यवस्था को फिर से दोहराया है। अब अगर किसी फीडर पर 10 घंटे से ज्यादा बिजली दी गई, तो जिम्मेदार कर्मियों से लेकर महाप्रबंधक तक की वेतन कटौती की जाएगी। यह प्रावधान पहले से लागू परिपत्र दिनांक 31 अगस्त 2020 के अनुसार जारी रहेगा।
कृषि फीडरों पर निर्धारित 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति को लेकर बिजली कंपनियों में अब जवाबदेही तय की जाएगी। मुख्यालय से जारी निर्देशों के अनुसार, यदि किसी माह में किसी फीडर पर निर्धारित अवधि से अधिक बिजली दी जाती है, तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी पर आर्थिक दंड लागू होगा। ३ नवंबर को जारी आदेश के अनुसार, यदि किसी दिन किसी कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक आपूर्ति दर्ज होती है, तो संबंधित ऑपरेटर का एक दिन का वेतन काटा जाएगा। वहीं, यदि दो दिन लगातार 10 घंटे से अधिक सप्लाई दी जाती है, तो कनिष्ठ अभियंता का एक दिन का वेतन कटेगा।
इसी तरह यदि किसी फीडर पर पांच दिन लगातार निर्धारित समय से अधिक बिजली दी गई, तो उपमहाप्रबंधक का एक दिन का वेतन काटा जाएगा और यदि किसी फीडर पर सात दिन लगातार यह स्थिति पाई जाती है, तो सीधे महाप्रबंधक तक की जिम्मेदारी तय करते हुए उनका भी एक दिन का वेतन काटा जाएगा।
तकनीकी कारणों को मिलेगी छूट
निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि मीटर की तकनीकी विशेषता के कारण समय इंटीग्रेशन अवधि 15 मिनट निर्धारित है। ऐसे में यदि 10 घंटे से सिर्फ 1 मिनट अधिक आपूर्ति होती है, तो मीटर इसे अगले 15 मिनट के ब्लॉक में जोड़ देता है। इस तकनीकी कारण से दर्ज अतिरिक्त समय को 15 मिनट तक की छूट दी जाएगी।
हालांकि, इस सीमा से अधिक किसी भी प्रकार की अतिरिक्त आपूर्ति को नियम उल्लंघन माना जाएगा। मीटर और सबस्टेशन की घड़ी का टाइम सिंक्रोनाइज न होने या तकनीकी कारणों से समय अंतर होने की स्थिति में भी यह छूट केवल तकनीकी सीमा तक ही लागू होगी।
जांच के बाद ही होगी कार्रवाई
निर्देश में कहा गया है कि कृषि फीडरों पर 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति के सभी मामलों की जांच एवं सत्यापन के बाद ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी मुख्य महाप्रबंधक (भोपाल/ग्वालियर क्षेत्र) एवं महाप्रबंधक (संचालन/संस्था) स्तर से की जाएगी।







