कैंसर बच्चों के लिए वरदान है मेडिकल का स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट
- मेडिकल डीन के प्रयास से कैंसर पीड़ित बच्चों के चेहरे पर आ रही नई खुशी

– प्रदेश का इकलौता इंस्टीट्यूट जहां कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज हो रहा है
-सैंकड़ों बच्चों की मददगार बन रही है कडल और कैनकिडस फाउंडेशन
जबलपुर, यशभारत। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज न हो तो जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। यह बीमारी उस वक्त और भयावह लगती है जब इसकी चपेट में छोटे-छोटे बच्चे आ जाते हैं। यह बीमारी केवल मरीज ही नहीं पूरे परिवार पर कहर बनकर टूटती है। परंतु नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट कैंसर पीड़ित पुरूष-महिला के साथ बच्चों के लिए वरदान बना हुआ है। इंस्टीट्यूट के इस कार्य में कडल और कैनकिडस फाउंडेशन जैसी सामाजिक संस्थाएं मददगार बन रही है। सैंकड़ों बच्चों को फ्री खाना से लेकर उनके इलाज और शैक्षणिक कोर्स पूरा कराने के लिए दोनों संस्थाएं काम कर रही है।
प्रदेश का पहला अस्पताल जहां कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज
नेताजी सुभाषचंद्र बोस काॅलेज का स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट पहला अस्पताल है जहां कैंसर पीड़ित बच्चों को निःशुल्क इलाज किया जा रहा है। सबसे खास बात ये है कि कैंसर से संबंधी जांचें जो मेडिकल अस्पताल में नहीं होती है उनका पूरा खर्च कडल फाउंडेशन उठाती है।
दोनों फाउंडेशन का क्या कार्य यहां समझें
कडल और कैनकिडस फाउंडेशन किस तरह कैंसर पीड़ित बच्चों की मदद कर रही है इसके बारे में मेडिकल डीन डाॅक्टर गीता गुईन ने बताया कि कडल एनजीओ न्यूट्रिशन का ख्याल रखती है मतलब पीड़ित बच्चों का खान-पान कैसा होना चाहिए। इसके लिए संस्था किसी भी तरह का पैसा नहीं लेती है। बात कैनकिडस एनजीओ की करें तो यह संस्था बच्चों की दवाईयों से लेकर अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराती है।
कैंसर पीड़ित 18 बच्चे भर्ती है
मेडिकल का स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में फिलहाल कैंसर पीड़ित 18 बच्चे भर्ती है। सभी को बेहतर इलाज के साथ मूलभूत सुविधाएं मुहैया हो रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि बच्चों के साथ उनके पैरेंटस का ख्याल रखा जा रहा है।
पढ़ाई कराने की योजना
मेडिकल डीन डाॅक्टर गीता गुईन ने बताया कि हमारी मंशा है कि मेडिकल का स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में भर्ती होने वाले बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए उन्हें पास के स्कूल में दाखिला दिलाने की योजना तैयार की जा रही है साथ ही उनके परिजन भी उनके साथ रहें इसकी तैयारी भी जारी है।
18 जिले के मरीज उपचार कराने पहंुचते हैं
इंस्टीट्यूट में प्रदेश के करीब 18 जिलों से कैंसर के मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं। जिसमेें समूचा महाकोशल, विंध्य व बुंदेलखंड के कुछ जिले शामिल हैं। कुल मिलाकर प्रदेश का पहला व एकमात्र इंस्टीट्यूट वर्तमान 18 जिलों के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। कैंसर मरीजों को बेहतर उपचार के लिए देश के अन्य महानगरों में भटकना न पड़े इसके लिए लगातार मेडिकल प्रबंधन प्रयास में जुटा हुआ है।
फैक्ट फाइल
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए तैयार की गई थी 152 करोड़ रुपये की योजना।
2014 में हुई थी घोषणा, अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ उपचार।
67.4 करोड़ रुपये भवन व फर्नीचर के लिए स्वीकृत किए गए
200 बिस्तरीय अस्पताल में छह आधुनिक आपरेशन थिएटर व 40 बिस्तरीय सर्वसुविधायुक्त आइसीयू स्वीकृत
250 पद स्वीकृत किए गए, हैं।
इंस्टीट्यूट में रोजाना 150 कैंसर मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं।
कोबाल्ट मशीन से रोजाना 120 मरीजों की सिंकाई
रोजाना 10 से ज्यादा मरीज भर्ती किए जाते हैं।
इंस्टीट्यूट में चार वार्ड मरीजों के लिए खोले गए जिसमें एक वार्ड सेंट्रल लैब में बदला जा रहा है।