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मध्य प्रदेश सरकार का ओबीसी आरक्षण पर दोहरा रवैया उजागर

अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को निर्धारित की

मध्य प्रदेश सरकार का ओबीसी आरक्षण पर दोहरा रवैया उजागर

अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को निर्धारित की

जबलपुर, यश भारत। मध्य प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण से जुड़े मामलों को हाईकोर्ट में सुनवाई से रोकने के लिए अब तक 75 ट्रांसफर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की हैं। आज सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ (जस्टिस अभय एस. ओका एवं जस्टिस उज्ज्वल भूयन) ने 9 ट्रांसफर याचिकाओं पर सुनवाई कर नोटिस जारी किए और अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को निर्धारित की।
ओबीसी संगठनों ने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करना शुरू करने के बाद, सरकार ने आनन-फानन में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक लगवा दी। हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग होने का हवाला देकर 27% ओबीसी आरक्षण लागू नहीं कर रही है। वहीं, ओबीसी संगठनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में दर्जनों केवियट दाखिल की गई हैं, लेकिन सरकार द्वारा याचिकाओं की प्रतियां उपलब्ध न कराने के कारण उनकी सुनवाई नहीं हो सकी। सरकार की इस रणनीति से यह स्पष्ट हो रहा है कि वह ओबीसी आरक्षण लागू करने के पक्ष में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह केवल कानून की संवैधानिक वैधता पर फैसला करेगा। अब नजरें 14 फरवरी की सुनवाई पर टिकी हैं।

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