जबलपुर में वैज्ञानिक धरने पर: आईसीएआर की पक्षपातपुर नीतियो के विरोध में धरने पर बैठे कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मचारी
वैज्ञानिक व कर्मियों की है 15 सूत्रीय मांग कृषि विश्वविद्यालय आईसीएआर केंद्र अटारी के बाहर हो रहा प्रदर्शन
जबलपुर , यशभारत। मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक एवं कर्मचारियों का सामूहिक धरना प्रदर्शन आज आईसीएआर केंद्र अटारी और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वीसी कार्यालय के समक्ष किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र एम्प्लाईज वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक और कर्मचारी अपनी 15 सूत्रीय माँगों को लेकर पिछले दो वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से सुनवाई नहीं हो पा रही है। आईसीएआर द्वारा कृषि केंद्र के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों का लगातार आर्थिक शोषण किया जा रहा है। इसके विरोध में हुए यह प्रदर्शन कर रहे हैं प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और कर्मचारी मौजूद रहे।
पूरे प्रदेश में है नेटवर्क
वर्तमान में, मध्य प्रदेश में 52 जिलों में 54 केवीके का एक मजबूत नेटवर्क कार्यरत है। इनमें से 81 प्रतिशत राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं, जो उनके विस्तार सेवा निदेशालय के माध्यम से संचालित होते हैं, 15 प्रतिशत गैर सरकारी संगठनों की देखरेख में हैं, और 4 प्रतिशत आईसीएआर और सीयू (प्रत्येक में एक) के अधीन राज्य के दो जिलों में संचालित होते हैं। केंद्रीय पहलों के अलावा, राज्य के केवीके मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना (एमकेटीवाई), एनएचएम (एमआईडीएच) और कई अन्य राज्य योजनाओं के क्रियान्वयन में शामिल रहे है।
किसानों को जोड़ते हैं तकनीक से
कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) देश में वर्ष 1974 से विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) व गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित हैं। समस्त कृषि विज्ञान केन्द्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा शत-प्रतिशत वित्त पोषित है। यह दुनिया की सबसे बड़ी कृषि विस्तार प्रणाली है जो किसानों को वैज्ञानिकों से जोड़ती है। भारत में आधुनिक टिकाऊ खेती के तरीकों और ग्रामीण आजीविका की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों को आवश्यक ज्ञान और संसाधन प्रदान करने में अहम् भूमिका अदा करते हैं।
यह है 15 सूत्री मांगे
1. अतार्किक, अवैध और अप्रासंगिक आदेश जारी करना बंद किया जाए।
2. वेतन भतों में दो वर्षों से की जा रही कटौती बंद की जाए एवं लंबित राशि अविलंब निर्गत की जाए।
3. मान्य भते (चिकित्सा, अवकाश नकदीकरण, ग्रेजुएटी), पदोन्नति और पेंशन (एनपीएस/ओपीएस) केव्हीके कार्मिकों का अधिकार है. इसे निगलने का प्रयास न किया जाए।
4. माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्देशों का क्रियान्वयन किया जाए।
5. मेजबान संगठन (जे.एन. के.व्ही. व्ही) के सेवा मानदंडों में अतिक्रमण रोका जाए।
6. सुनीता शर्मा का दिनांक 20.08.2024 को जारी पत्र वापस लिया जाए।
7. हिटलरशाही बंद की जाए, तुगलकी फरमान न जारी किये जाएं।
8. परौंदा उच्च समिति की सिफारिशें लागू कर एकरुपता लाई जाए।
१. केव्हीके के 50 सालः केवीके को गैर-योजना में लाया जाए।
10. केव्हीके को बांटना और भेदभाव करना बंद किया जाए।
11. जेएनकेव्हीव्ही द्वारा प्रतिमाह ससमय वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
12. वरिष्ठता के आधार पर केव्हीके कर्मिकों को शिक्षण/शोध संकाय में स्थानांतरित किया जाए।
13. समस्याओं के मौखिक निराकरण, आश्वासन के बजाए उन्हें धरातल पर मूर्तरुप दिया जाए।
14. हम केव्हीके कार्मिकों के लिए न्याय व सम्मान की मांग करते हैं, जिसके वे हकदार हैं।
15. मेजबान संगठन (जेएनकेव्हीव्ही) और आईसीएआर के समन्वय द्वारा 15 दिवस में समस्त मुद्दों को सुलझाया जाए।