कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस: SC ने ममता सरकार को लगाई फटकार, पूछा- अंतिम संस्कार के 3 घंटे बाद क्यों दर्ज हुई FIR
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को फटकार लगाई। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स गठित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी करने को लेकर भी सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए।
अंतिम संस्कार के तीन घंटे बाद क्यों दर्ज हुई FIR
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘जब शव को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया गया था, तो एफआईआर तीन घंटे बाद क्यों दर्ज की गई?’ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोलकाता पुलिस और अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल उठाए। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अस्पताल के प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? एफआईआर दर्ज नहीं हुई, शव को माता-पिता को देर से सौंपा गया। पुलिस क्या कर रही थी? यह एक गंभीर अपराध है, और अपराध स्थल एक अस्पताल है, तो वे क्या कर रहे थे? वैंडल्स को अस्पताल में क्यों प्रवेश करने दिया गया?’
पोस्टमार्टम और FIR की टाइमलाइन पर उठे सवाल
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने एफआईआर दर्ज करने की टाइमलाइल पर सवाल उठाते हुए पूछा, ‘एफआईआर दर्ज करने वाला पहला सूचनार्थी कौन था? एफआईआर दर्ज करने का समय क्या था?’ इस पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने बताया कि पहले सूचनार्थी मृतक के पिता थे, जिन्होंने रात 11:45 बजे एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद अस्पताल के वाइस प्रिंसिपल ने भी एफआईआर दर्ज कराई।
प्रिंसिपल संदीप घोष को कहीं नहीं नियुक्त किया जाए: SC
आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष ने इस घटना के दो दिन बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इसके बाद उन्हें दूसरी मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आपत्ति जताई। कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि जब तक आगे का आदेश नहीं आता, संदीप घोष को किसी भी अन्य मेडिकल कॉलेज में नियुक्त न किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर के मामले की सुनवाई के दौरान देशभर के डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की। अदालत ने कहा, “हम चाहते हैं कि डॉक्टरों को हम पर भरोसा हो। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा और उन्हें संरक्षण देना हमारे लिए राष्ट्रीय चिंता का सबसे बड़ा विषय है।
तुषार मेहता ने सरकार पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना 7,000 लोगों की भीड़ आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में नहीं घुस सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में कानून-व्यवस्था की पूर्ण विफलता के बारे में इनकार नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता पर जोर
कोर्ट ने सुझाव दिया कि देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अस्पताल 24 घंटे खुले रहते हैं, डॉक्टर दिन-रात काम करते हैं और उन्हें सुरक्षा की जरूरत होती है। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि डॉक्टरों के कार्यस्थलों को सुरक्षित बनाने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तैयार किया जाए।
बंगाल के राज्यपाल ने ममता सरकार को घेरा
रक्षा बंधन के अवसर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा, “पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र पतन की ओर है। यह और नहीं चल सकता। आज हमें अपनी बेटियों और बहनों की रक्षा करने की प्रतिज्ञा लेनी होगी।” वहीं, पीड़ित डॉक्टर के माता-पिता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा इस केस को हैंडल करने पर निराशा जाहिर की।