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JABALPUR NEWS- मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी: जो अपनी बेवसाइट अपडेट नहीं कर पा रहा है वो क्या मार्कशीट समय पर छापकर देगा

लाखों रूपयों में आईटी एक्सपर्ट की नियुक्ति, फिर विवि की बेवसाइट अपडेट नहीं

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जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति और परीक्षा नियंत्रक ने ढंका बजा दिया है कि समय पर मार्कशीट छापकर दी जाएगी। कुलपति-परीक्षा नियंत्रक की जुबान कहा तक सच साबित होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। यहां गौर करने वाली बात ये है कि मप्र की इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में लाखों रूपए के आईटी एक्सपर्ट नियुक्त किए गए हैं लेकिन इनके द्वारा विवि की बेवसाइट को अपडेट ही नहीं किया जा रहा है। ताजा मामला एक अधिकारी द्वारा विवि को छोड़े एक माह बीत गया है लेकिन अभी तक उस अधिकारी का नाम बेवसाइट से अलग नहीं किया गया है। इधर दावा किया जा रहा है कि एक दिन में 8 हजार मार्कशीट छापकर दी जाएगी जो विवि अपनी बेवसाइट अपडेट नहीं कर पा रहा है वो क्या समय पर मार्कशीट छापकर देगा।

मालूम हो कि डिप्टी रजिस्टार डॉक्टर अमित किनारे को एक माह पूर्व विवि से हटा दिया गया है बाबजूद विवि की बेवसाइट में उनका नाम दर्ज है। यहां जानने वाली बात यह है कि विवि के आईटी से संबंधित कार्य के लिए दो युवकों को करीब 2-2 लाख रूपये के वेतन में निजी तौर पर नियुक्त किया गया है। इतनी भारी-भरकम वेतन देने के बाद भी इनके द्वारा बेवसाइट को अपडेट न करना ये दर्शाता है कि विवि में भर्राशाही हावी है। कभी भी कोई काम समय पर होना यहां संभव नहीं है।

विद्यार्थियों की फीस से होता है भुगतान
बताया जा रहा है कि जिन दो आईटी एक्सपर्ट को नियुक्त किया गया है उनका वेतन का भुगतान विद्यार्थियों की फीस से होता है। सवाल ये उठता है कि विद्यार्थियों की फीस को ऐसे क्यों बर्बाद किया जा रहा है जबकि इनकी फीस का सदुपयोग विवि विकास के लिए किया जाना है।

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जो काम कर रहे उनका नाम गायब
विवि का आईटी सेल किस तरह से काम कर रहा है अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो अधिकारी विवि में काम कर रहे हैं उनका नाम अब तक बेवसाइट में अपलोड नहीं किया गया है। इधर चर्चा है कि अधिकारी खुद अपना नाम बेवसाइट में अपलोड नहीं कराना चाहते हैं।

विवि की पोल खोल अभियान चलेगा
मप्र छात्र संगठन अध्यक्ष अभिषेक पांडे ने बताया कि प्रदेश के गरीब छात्रों से अन्य विवि की अपेक्षा परीक्षा- मार्कशीट और डिग्री एवं अन्य कार्यों के लिए दोगुनी फीस वसूलने वाला विवि अपने खास लोगों के लिए कार्य के नाम उपकृत कर पैसे बांट रहा है। जहां आईटी में 3 लाख की सैलरी में 10 लोग कार्य कर सकते हैं वहां दो लोगों से कार्य पर रख कमीशनकोरी चल रही है। जल्द ही विवि की पोल खोलेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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