JABALPUR NEWS- भाजपा की अंदरूनी कलह :- युवा मोर्चे के अंदर काम कर रहे दो मोर्चे
JABALPUR NEWS-
जबलपुर यश भारत। भारतीय जनता पार्टी में इन दोनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है एक ओर जहां जिला संगठन को लेकर चल रहा विवाद कार्यालय से निकलकर सोशल मीडिया से होते हुए मंचों के रास्ते शिकायती पत्रों तक पहुंच गया है। वही जिला संगठन संगठन के बाद सबसे महत्वपूर्ण इकाई माना जाने वाला युवा मोर्चा भी आपसी विवाद में डूबा हुआ है। यहां भी युवा मोर्चा के अंदर दो मोर्चे चल रहे हैं। जिसमें एक की कमान नगर अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ठाकुर के हाथ में है जो घोषित रूप से अध्यक्ष हैं। जिनके साथ संगठन से जुड़े कुछ युवा चेहरे काम कर रहे हैं। वहीं दूसरा खेमा ईशान नायक का है जो युवा मोर्चा में संगठन मंत्री है। वे अपने कार्यक्रम अलग करते हैं जहां ज्यादातर जिला अध्यक्ष योगेंद्र सिंह नदारत रहते हैं। वहीं योगेंद्र सिंह पर ईशान नायक आरोप लगाते हैं की नगर अध्यक्ष उन्हें कार्यक्रमों की जानकारी नहीं देते । युवा मोर्चा की खेमेबाजी उनके कार्यक्रमों में साफ देखी जाती है। JABALPUR NEWS-
यहां है कारण
JABALPUR NEWS– योगेंद्र सिंह और ईशान नायक के बीच विवाद कोई नया नहीं है। जो धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। यह सर्व विदित है कि योगेंद्र सांसद वह पश्चिम से भाजपा के प्रत्याशी राकेश सिंह के करीबी रहे हैं। वे लंबे समय से उनके साथ मिलकर काम करते आ रहे हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति को हमेशा से राकेश सिंह के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है। वहीं दूसरी तरफ ईसान नायक भाजपा के वरिष्ठ नेता चक्रेश नायक के बेटे हैं और चक्रेश नायक की भाजपा नगर अध्यक्ष प्रभात साहू से करीबी जग जाहिर है। ऐसे में विवाद की जड़ कहीं न कहीं दो बड़े नेताओं का अहम भी है। जबकि विधानसभा चुनाव में पश्चिम विधानसभा सीट को लेकर दोनों बड़े नेताओं के बीच किस तरह के मतभेद सामने आए हैं वह भी जग जाहिर हो गया है। एक तरफ जहां ईशान नायक अपनी अनदेखी का आरोप लगाते हैं वहीं दूसरी तरफ भीतर खाने योगेंद्र सिंह भी नगर अध्यक्ष को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते रहते हैं।
विवाद नेता के नुकसान पार्टी का
युवा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी की फ्रंट विंग मानी जाती है। एक तरह से कह तो यह भाजपा नेताओं की नर्सरी है। जहां से सीख कर नेता मुख्य बॉडी में शामिल होते हैं। इसके उदाहरण शिवराज सिंह चौहान से लेकर अजय बिश्नोई और विश्वास सारंग को देखकर समझ जा सकता है। जिन्होंने युवा मोर्चे में लंबे समय तक काम किया और प्रदेश स्तर की जिम्मेदारियां संभाली। लेकिन बड़े नेताओं के आपसी विवाद में युवा मोर्चा बलि का बकरा बनता जा रहा है। चुनाव के ठीक पहले इस तरह के मतभेद भाजपा के लिए घातक होंगे लेकिन जब लड़ाई बड़े नेताओं के बीच हो तो छोटे कार्यकर्ता मूकदर्शक ही बने रहते हैं।