JABALPUR NEWS-जिला-जनपद अध्यक्ष चुनावों में घमासान: कांग्रेस ने रायपुर तो भाजपा ने भोपाल पहुंचाए अपने समर्थंक
जबलपुर यश भारत। आगामी 27, 28 और 29 जुलाई को होने जा रहे जिला पंचायत व जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टीं और कांग्रेस ने बाड़े बंदी तेज कर दी है। क्योंकि यह चुनाव पार्टीं सिंबल पर नहीं होते हैं । जिसके चलते सदस्य किसी भी खेमे में जाकर मतदान कर सकते हैं। जिस कारण अपने अपने समर्थकों को बचाने के लिए दोनों ही पार्टिंयां उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जा रही है। उक्त जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के समर्थंकों की एक बड़ी फौज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नया रायपुर क्षेत्र में रुकी हुई है। जिन्हें दो होटलों में ठहराया गया है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टीं की बात करें तो यहां समर्थंकों को अलग-अलग स्थानों पर भेजा गया है। जिन्हें वहां से अब भोपाल बुलाया जा रहा है जहां एक होटल में इनके रुकने की व्यवस्था की जा रही है।
कांग्रेस ज्यादा सतर्क
पंचायत चुनावों में भाजपा की तुलना में कांग्रेस समर्थित जनपद व जिला सदस्य की संख्या ज्यादा बताई जा रही है। जिसके चलते उसमें अधिक सतर्कता देखी जा रही है। कांगे्रस समर्थकों को सीधे रायपुर भेज रही है । जहां कांग्रेस की ही सरकार है जिसके चलते प्रशासन के दबाओ से समर्थकों को बचाया जा सके। वहीं भाजपा ने अपने समर्थकों को प्रदेश में ही रखा हुआ है। एक दो जिला सदस्य तीर्थ यात्रा के नाम पर प्रदेश से बाहर गए हुए थे लेकिन उन्हें भी अब भोपाल में एकत्रित किया जा रहा है। कांग्रेस की सतर्कता इससे समझी जा सकती है कि चुनावों के ठीक बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गड़बड़ी की जानकारी मिलने पर हेलीकॉप्टर तैयार रखने वाला बयान दिया था।
भाजपा के लिए नाक का सवाल
जबलपुर नगर निगम चुनावों में महापौर पद के लिए मिली हार के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद भाजपा के लिए नाक का सवाल बन गया है। जबकि उसके पास प्रत्यक्ष रूप से देखा जाए तो पूरे नंबर नहीं है। जबकि कांग्रेस के पास समथज़्कों की संख्या अधिक बताई जा रही है। लेकिन उसके बाद भी आलाकमान के आदेश के चलते भाजपा के दो विधायक पूरी ताकत से जिला पंचायत अध्यक्ष पद भाजपा के खाते में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
विप नहीं होती जारी
क्योंकि पंचायत के चुनाव पार्टी सिमवाल पर नहीं होते हैं और राजनीतिक दल इसमें प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हो सकते। जिस कारण पार्टी अपने समर्थकों को अपने के पक्ष में मतदान करने के लिए विप जारी नहीं कर सकती। सदस्य अपनी मजीज़् से कहीं भी मतदान कर सकते हैं और राजनीतिक दल उनके खिलाफ कोई भी संविधान है या कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकते है। जिस कारण इन चुनावों में सर्वाधिक क्रॉस वोटिंग होती है। जिस से बचने के लिए दोनों ही पार्टियां प्रयास कर रही हैं। लेकिन भाजपा की सरकार होने के चलते कांग्रेस को सबसे ज्यादा क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है।