कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी, यंग लीडरशिप से दूरी बना रहे सीनियर लीडर

जबलपुर यश भारत। वर्तमान समय में प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक कांग्रेस की लीडरशिप में युवाओं की भरमार है चाहे प्रदेश अध्यक्ष हो या विधानसभा में विपक्ष के नेता हूं या फिर जिला अध्यक्ष। सभी जगह यंग लीडरशिप दिख रही है। खास तौर पर विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस द्वारा जो नियुक्तियां की जा रही है उसमें युवा चेहरों को मौका दिया जा रहा है। लेकिन युवाओं की संगठन में बढ़ती पूछ के चलते कार्यक्रमों से वरिष्ठ गायब होते जा रहे हैं। बात सिर्फ भोपाल की नहीं है बात तो जबलपुर की भी यही है। जहां कांग्रेस के कार्यक्रमों में एक-दो सीनियर नाम को छोड़कर बाकी दिखते ही नहीं । एक दौर था जब कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के आगमन के दौरान वरिष्टों की भीड़ लगी रहती थी वे सभी चेहरे अब युवाओं के नेतृत्व में गायब से हो गए हैं।
मामला पिछले दिनों का है जब कांग्रेस की पूरी यंग लीडरशिप जबलपुर में मौजूद थी। जिसमें प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी नेता विपक्ष उमंग सिंघात, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव मंडला में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जबलपुर आए हुए थे ।इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेताओं से भी मुलाकात की थी लेकिन वहां एक दो पुराने शहरों को छोड़कर सभी गायब थे। ऐसे में सवाल उठता है कि जो लोग कमलनाथ के अध्यक्ष रहते पलक पावड़े बिछाए रहते थे। क्या वे युवा प्रदेश अध्यक्ष के साथ काम नहीं करना चाहते हैं। कांग्रेस में अभी भी पार्टी और संगठन को छोड़कर व्यक्ति पूजा का दौर खत्म नहीं हुआ है।
भोपाल में भी पार्टी कार्यक्रमों के दौरान बड़े नेता नदारत रहते हैं। जिसमें सीनियर मोस्ट से लेकर सीनियर मोस्ट के पिछलाघू कहलाने वाले तक नाम शामिल है। जबकि चुनाव बहुत दूर है और पार्टी संघर्ष के दौर से गुजर रही है। ऐसे में वरिष्ठों की यह बेरुखी यंग लीडरशिप को खल हाल रही है। जिसको लेकर सार्वजनिक रूप से तो कोई कुछ कहता नहीं है लेकिन दर्द सबको पता है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष बातों ही बातों में गुटबाजी को कैंसर करार दे चुके हैं। लेकिन वह किसी व्यक्ति विशेष पर तंज कश रहे थे वह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन हालात सब बयां कर रहे हैं।