विधानसभा में मौजूद हैं दस्तावेज
यश भारत से चर्चा के दौरान एन पी प्रजापति। ने जानकारी दी कि विधायकों को बेंगलुरु भाजपा नेताओं द्वारा ले जाया गया था। उसके बाद विधिवत तरीके से उन्हें विधानसभा में बुलाने को लेकर कागजी कार्रवाई की गई। साथ ही साथ वैधानिक नियमों के अनुसार उनके बयान दर्ज करने को लेकर भी पत्राचार किया गया। लेकिन इसी दौरान शिवराज सिंह चौहान सुप्रीम कोर्ट चले गए और उन्होंने कोर्ट की मदद से विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करवा दिए। यह सिर्फ कहने की बातें नहीं है, इन सभी बातों के प्रमाण और दस्तावेज विधानसभा कार्यालय में मौजूद हैं।
कोई पहला मामला नहीं है
चर्चा के दौरान प्रजापति ने बताया कि इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। जब भाजपा द्वारा धन-बल का प्रयोग करके सरकार गिराई हो । लेकिन विधानसभा अध्यक्ष को नियमों का पालन करते हुए संवैधानिक व्यवस्थाओं के अधीन काम करना पड़ता है। सबसे बड़ी बात यह होती है कि पूरे मामले सुप्रीम कोर्ट चले जाते हैं जिसके बाद निर्णय कोर्ट के माध्यम से होते हैं। फिर बतौर विधानसभा अध्यक्ष उसे स्वीकार करना पड़ता है । इस तरह से भाजपा ने सिर्फ मध्य प्रदेश में सरकार नहीं गिराई है कर्नाटक और महाराष्ट्र उसके ज्वलंत उदाहरण हैं। इसके अलावा और भी राज्य हैं जहां विधानसभा अध्यक्षों को न चाहते हुए भी इस्तीफा स्वीकार करने पड़ते हैं ।ऐसे में पक्षपात के आरोप लगाना पूर्णतः गलत है । मैंने सिर्फ अपने दायित्वों का पालन किया है पार्टी के खिलाफ मेरे द्वारा कोई भी गलत और अनैतिक काम नहीं किया गया है। सवाल तो यह भी उठना है कि सरकार गिरे 3 साल का समय बीत गया है। लेकिन इस विषय में कभी भी कोई सवाल नहीं उठाए गए । अब चुनाव के ठीक पहले इस तरह के सवाल उठाना उसकी विश्वसनीयता पर खुद ही सवाल खड़े करता है।