हाफ मर्डर बढ़े, हर दिन चाकूबाज कर रहे खूनखराबा , अपहरण, लूट-चोरी, बलवा की वारदातों में इजाफा
छह माह में हत्या, दुष्कर्म, छेड़छाड़ अन्य अपराधों का ग्राफ लुढक़ा

जबलपुर। शहर में अपराधी बेखौफ हो गए है। बढ़ते अपराधों को देखकर तो ऐसा ही लगने लग रहा है कि जैसे अब शहर सबसे असुरक्षित बनता जा रहा है। जहां अपराधी बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम देते नजर आ रहे है और आमजन सुरक्षित महसूस न कर खौफ के साए में रह रहे हैं उन्हें डर सताने लगा है कि न जाने कब वे चोरी, लूट, अपहरण, चाकूबाजी का शिकार हो जाएं।
वर्ष 2024 के छह माह में दर्ज अपराधिक आकड़ों पर नजर दौड़ाई जाएं तो हत्या के प्रयास, अपहरण, लूट, चोरी और बलवा की वारदातों में इजाफा हुआ है। सन् 2023 और 2024 के छह-छह माह के तुलनात्मक आंकड़े खुद गवाही दे रहे है कि इन वारदातों का ग्र्राफ इस वर्ष तेजी से बढ़ा है। जबकि हत्या, दुष्कर्म, छेड़छाड़, डकैती अन्य अपराध के ग्राफ लुढक़ा है। इसके अलावा चाकूबाजों में पुलिस का काबू नहीं है। चाकूबाज बेखौफ होकर हर दिन वारदातों को अंजाम दे रहे है। शायद ही ऐसा कोई दिन बीत रहा है जब चाकूबाजी की वारदात न हुई हो। चाकूबाजों की वजह से शहर की सडक़ों पर हर दिन खूनखराबा हो रहा है जिन पर पुलिस का अकुंश नहीं है। पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज इन अपराधों के कुछ आरोपी तो सीखचों के पीछे पहुंच चुके है तो कई मामले अब भी अनसुलझे हैं साथ ही कई मामलों के आरोपित पुलिस गिरफ्त से दूर है।
लव एंगल में भी बह रहा लहू –
इश्क-बेवफाई से लेकर रंजिशन शहर में खूनी खेल भी खेला जा रहा है। छह माह में सबसे चर्चित मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का रहा जहांं 15 मार्च की दरमियानी रात्रि रेलवे मिलेनियम कॉलोनी में रेल मंडल के हेड क्लर्क राजकुमार विश्वकर्मा और उनके बेटे तनिष्क की हत्या की गई थी। कातिल कोई और नहीं बल्कि उनकी नाबालिग बेटी निकली थी जिसने अपने प्रेमी मुकुल के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था। इसके अलावा मई माह में माढ़ोताल थाना क्षेत्र में ऐसा खूनी खेल खेला गया जिसे जिसने भी सुना उसकी रूह कांप उठी। अफेयर में रोड़ा बन रही प्रेग्नेंट पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए पति ने उसकी हत्या करवाई और मनगढ़ंत कहानी बनाई हालांकि बाद में खुलासा हुआ। कजरवारा निवासी शुभम चौधरी ने दोस्तों को 60 हजार रुपये की सुपारी देकर पत्नी रेशमा चौधरी की हत्या कराई थी। इसके अलावा अभी हाल ही में एक जुलाई को ओमती और चरगवां में छह जुलाई दो बालिकाओं की भी हत्याएं हुई। ये वारदातें भी प्रेम प्रसंग के चलते हुई है।
मुखबिर तंत्र पर भी उठ रहे सवाल-
बढ़ते अपराधों को देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे पुलिस का मुखबिर तंत्र और पुलिस गश्त ध्वस्त हो चुकी है। शहर के चौक चौराहों से पलिस का पहरा गायब होने से चोर-लुटेरे और अपराधी बेखौफ वारदातों को अंजाम देते नजर आ रहे है। लुटेरे जहां राहचलते लोगों पर झपट्टा मार रहे है तो चोर सूने घरों के ताले तोड़ रहे है। वहीं पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज अनेक मामलों में पुलिस के हाथ खाली है। आरोपित पुलिस गिरफ्त से दूर है। अगर पुलिस का मुखबिर तंत्र सक्रिय तो ये अपराधी आज सीखचों के पीछे होते।